जज्बा: ये रहा दुनिया का सबसे ठंडा स्कूल, हांड कपाने वाली ठंड में पलकों पर बर्फ जमा पढ़ने जाते हैं बच्चे

हटके डेस्क: मन में जज्बा हो तो इंसान अपनी मंजिल तक जाने के रास्ते में आने वाली हर मुसीबत से टकरा जाता है। चाहे इसके लिए उसे मौत से ही खेलना क्यों ना पड़े। भारत में जहां जरा सी ठंड बढ़ने पर लोग रजाई से बाहर आने में कतराने लगते हैं, वहीँ दुनिया में एक ऐसी जगह है जहां -51  डिग्री तापमान पर भी छोटे-छोटे बच्चे पढ़ने जाते हैं। इसे दुनिया के सबसे ठंडे स्कूल की लिस्ट में शामिल किया गया है। बच्चे कड़ाके की ठंड में खुद को मफलर और स्वेटर्स से ढंककर पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचते हैं। आइये आपको बताते हैं इस स्कूल के बारे में और कैसे होती है इतनी ठंड में यहां पढाई...  

Asianet News Hindi | Published : Dec 13, 2020 4:06 AM IST

19
जज्बा:  ये रहा दुनिया का सबसे ठंडा स्कूल, हांड कपाने वाली ठंड में पलकों पर बर्फ जमा पढ़ने जाते हैं बच्चे

भारत में बर्फ़बारी का मजा लेने के लिए लोग शिमला-मनाली जाते हैं। लेकिन दुनिया में साइबेरिया एक ऐसा देश है जो सबसे ठंडी जगह में शामिल है। यहां हर एक एरिया लगभग सालभर बर्फ में ढंका रहता है। 

29

साइबेरिया के ओएमयाकोन में है दुनिया का सबसे ठंडा स्कूल। यहां तापमान -50 डिग्री के आसपास ही होता है। लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इसके बावजूद बच्चे हर दिन स्कूल में पढ़ने आते हैं। जहां भारत में थोड़ी सी ठंड बढ़ने पर लोग घर से निकलने से कतराने लगते हैं। 

39

ओएमयाकोन के हांड कंपाने वाली इस ठंड में छोटे-छोटे बच्चे स्कूल पहुंचते हैं। इन बच्चों की उम्र 11 से भी कम होगी। साथ ही ये स्कूल तब ही बंद होते हैं जब यहां तापमान -52 के नीचे जाता है। वर्ना स्कूल खुले रहते हैं और टीचर्स पढ़ाने भी आते हैं। 

49

साइबेरिया के ओएमयाकोन शहर तक पहुँचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। एक तो यहां ठंड काफी पड़ती है। उसके अलावा यहां पोस्ट ऑफिस और बैंक जैसी बुनियादी सुविधाएं हाल ही में पहुंची है। ऐसे में स्कूल में ठंड में बच्चों की अटेंडेंस सबको हैरान कर रहा है। 

59

हालांकि, अब कोरोना की वजह से यहां हालात और अधिक चिंताजनक हो गए हैं। कोरोना वायरस के फैलने के बाद भी खुले स्कूल्स में आने वाले बच्चों के साथ-साथ उनके पेरेंट्स और स्टाफ्स तक को स्कूल में घुसने से पहले टेम्पेरेचर चेक करवाना पड़ता है। 

69


बात अगर इस स्कूल की करें तो इसे 1932 में बनाया गया था। इस स्कूल में दूर-दूर से बच्चे पढ़ने आते हैं। खासकर यहां से सटे खारा तुमूल और बेरेग युर्डे गांव के बच्चे भी स्कूल में पढ़ने आते हैं। 

79

सोशल मीडिया पर लोगों को इस स्कूल के बारे में बताने वाले शख्स हैं फोटोग्राफर सेम्योन। उन्होंने साइबेरिया के ओएमयाकोन में जाकर वहां के लोगों की लाइफ दिखाई। सेम्योन ने बताया कि उन्हें उस एरिया में काफी दिक्कत हो रही थी। बार-बार उन्हें अपने ग्लव्स बदलने पड़ रहे थे। साथ ही वो काफी अनकम्फर्टेबल फील कर रहे थे। 

89

लेकिन सेम्योन ये देखकर हैरत में थे कि इतने ठंड में  भी वहां छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जा रहे थे। वो अपने पेरेंट्स के साथ पढ़ने स्कूल पहुंच रहे थे। इस जज्बे ने सेम्योन को अंदर से झकझोर दिया। सेम्योन ने बताया कि उस ठंड में घर से बाहर निकलना मौत से लड़ने जैसा था। लेकिन बच्चे आराम से स्कूल के लिए जाते दिखे। 

99

एक्सपर्ट्स के मुताबिक़, इतनी ठंड में लोगों को गहरी सांस भी नहीं लेनी चाहिए। इसे फेफड़ों में ठंडी हवा भर जाती है और इससे जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। इस तापमान में सामान्य जीवन बिताना वाकई मुश्किल है। लेकिन लोग आराम से अपनी डेली लाइफ को एन्जॉय करते दिखे। 


 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos