20 तस्वीरों में देखें मासूम से रेप की वो कहानी, जिसने हंसती हुई गुड़िया को बना दिया जिंदा लाश

हटके डेस्क: भारत में हर घंटे चार लड़कियों का बलात्कार होता है। कई न्यूज चैनल्स में ये बात दिखाई गई। हाथरस दुष्कर्म मामले के सामने आने  फिर वही हुआ जो हर बार होता है। एक के बाद एक इससे भी क्रूर अपराध की घटनाएं सामने आने लगी। भारत में कुछ दिनों बाद दुर्गा पूजा महोत्सव है। देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक बताकर बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाई जाएगी। लेकिन क्या असल में ऐसा होता है। सोशल मीडिया पर एक बार फिर कई लोगों ने बलात्कार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। इस बीच फोटोग्राफर रवि कुमार प्रजापति की एक फोटो सीरीज काफी वायरल हो रही है। इसमें रवि ने एक मासूम बच्ची की जिंदगी बर्बाद होने को तस्वीरों में दिखाया था। 20 तस्वीरों की ये सीरीज 2019 में जारी की गई थी। लेकिन इसकी तस्वीरें देख ये आज से एक साल पहले हाथरस की घटना की भविष्यवाणी सी लग रही है। आइये आपको दिखाते हैं एक रेप पीड़िता का तस्वीरों में छिपा दर्द...   (सभी तस्वीरें रवि कुमार प्रजापति की फेसबुक प्रोफाइल से)
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 2, 2020 3:58 AM IST

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20 तस्वीरों में देखें मासूम से रेप की वो कहानी, जिसने हंसती हुई गुड़िया को बना दिया जिंदा लाश

घर के बाहर ये मासूम अपने बचपन को एन्जॉय कर रही थी। दुनिया की क्रूरता से बेखबर खुश एक मासूम बच्ची। 

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बच्ची जिसे भारत में देवी दुर्गा का अवतार बताया जाता है। वो खुश थी अपनी छिपी ताकत से।

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खुद को आईने में निहारती ये बच्ची अपनी ही मुस्कान की कायल हो रही थी। 

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उसे बिलकुल भी अंदाजा नहीं था बाहरी दुनिया में क्या चल रहा है? 

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बाहर की दुनिया से आए तीन नरभक्षी की नजर पड़ती है इस मासूम पर। 
 

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नरभक्षियों से बेखबर वो मासूम कुछ यूं टहल रही थी। 

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खुद में मग्न प्रकृति की सुंदरता निहार रही थी। 

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लेकिन अब उसकी खुशियों को लगने वाली थी नजर। इस क्रूर दुनिया की नजर। 

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लेकिन अब उसकी खुशियों को लगने वाली थी नजर। इस क्रूर दुनिया की नजर। 

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मासूमियत को दरिंदगी की बू ने ढंकने की साजिश रच ली थी। 

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घड़े में पानी नहीं, दुनिया की खुशियां बटोरने की उम्मीद में थी। 

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हालांकि घर लौटते हुए अब उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी। 

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होती भी क्यों नहीं? अब उसे समझ आ रहे थे दरिंदों के इरादे। 

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जिन्होंने छीन लेने की कसम खाई थी मासूम की खुशियां। 
 

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अपने कुछ पलों के मनोरंजन के लिए तोड़ दिया मासूम की खुशियों का घड़ा। 
 

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हंसती-खेलती मासूम को जिंदगी भर का वो गम मिला जो उसने कल्पना भी नहीं की थी।

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टूट गई सुनहरी दुनिया की हर उम्मीद। बची रह गई सिर्फ आसूंओं की लकीरें। 

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अपने मनोरंजन के लिए दरिंदों ने उजाड़ दी मासूम की जिंदगी। 

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वो बनकर रह गई लाश। शायद सच में ही मर गई थी। अंदर से भी और बाहर से भी। 
 

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देवी दुर्गा का ऐसा हश्र कहीं और नहीं, उसके ही भारत में हो रहा है। 

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