शर्मानक: यहां रेप के बाद जला गईं हजारों मुस्लिम महिलाएं, सरकार ने ही सैनिकों को दी इज्जत लूटने की परमिशन

Published : Sep 10, 2020, 12:00 PM ISTUpdated : Sep 10, 2020, 01:16 PM IST

हटके डेस्क: किसी भी देश के लिए उसके नागरिकों या शरणार्थियों की सुरक्षा अहम मुद्दा होता है। दुनिया में ऐसे कई देश है जो शरणार्थियों को पनाह देकर उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश करते हैं। इसमें भारत भी शामिल है। लेकिन कुछ देश ऐसे होते हैं जो अपने ही लोगों पर ऐसा जुल्म ढाते हैं कि सामने वाला इंसान जान बचाने के लिए दूसरे देश की शरण लेने को मजबूर हो जाता है। भारत में कई रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी बनकर आए। भले ही इलीगल तरीके से लेकिन देश ने उन्हें रहने की जगह दी। लेकिन अब म्यांमार के सैनिकों ने कुछ ऐसे खुलासे किये हैं जिसके बाद इन मुसलमानों के भागने की असली वजह सामने आई। सैनिकों के खुलासे के मुताबिक़ म्यांमार सरकार ने देश से आतंकवाद खत्म करने के लिए कई रोहिंग्या मुसलमानों के गांव को जला देने और सामने आए हर एक व्यक्ति को मार देने का ऑर्डर दिया था। इसके बाद वहां हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को मत के घाट उतरा दिया गया। सबसे बुरी बात कि इनमें शामिल महिलाओं के साथ पहले रेप किया जाता फिर उन्हें जलाकर मार दिया जाता। इस कारण ही म्यांमार से करीब 7 लाख रोहिंग्या मुसलमान भागकर बांग्लादेश और भारत में पनाह लेने को मजबूर हो गए।  

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शर्मानक: यहां रेप के बाद जला गईं हजारों मुस्लिम महिलाएं, सरकार ने ही सैनिकों को दी इज्जत लूटने की परमिशन

म्यांमार के दो सैनिकों ने अपनी ही देश की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल खौफनाक खुलासे किये। रोहिंग्या मुसलमानों के ऊपर इस देश में कितना कहर बरपाया गया, ये उनके खुलासे से साफ़ हो गया। 

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इन दोनों सैनिकों ने बताया कि वो भी रोहिंग्या मुसलमानों को मारने में शामिल थे। उन्होंने बताया कि म्यांमार सरकार ने देश से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए इस समुदाय को खत्म करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने किसी को भी मारने की आजादी दे दी।  

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उन्हें रोहिंग्या के हर गांव को जला देने, हर व्यक्ति को मार देने की छूट दी गई। सैनिक इनके गांवों में जाते और लोगों का कत्लेआम करते। इतना ही नहीं, वहां मौजूद महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाता और फिर उन्हें जिंदा जलाकर मार दिया जाता था। 

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इन दोनों सैनिकों 33 साल के मेजर विन टुन और 30 साल के जाव नाइंग टुन ने बताया कि अगस्त 2017 में ये ऑर्डर जारी किये गए थे। इसके बाद वहां कत्लेआम होने लगा। मीडिया को इससे दूर रखा गया और इस दौरान करीब 7 लाख रोहिंग्या मुसलमानों ने देश को छोड़ बांग्लादेश और भारत का रूख किया।  

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2017 के इस ऑर्डर के बाद रोहिंग्या मुसलमानों के गांवों पर अटैक शुरू हो गया। सैनिक वहां जाते और हर किसी को मार डालते। उन्हें घरों में जिंदा जला दिया जाता। म्यांमार में क्या हो रहा है, इसकी किसी को जानकारी नहीं थी। 

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जब लाखों रोहिंग्या मुसलमान से देश छोड़कर भागे, तब इस बात का खुलासा हुआ। यूएन ने इस मामले में इंटरफेयर किया। अब इन दोनों सैनिकों के बयान को आधार बनाकर इस पर कार्यवाई की जाएगी। 

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हालांकि, म्यांमार सरकार ने इन आरोपों से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई ऑर्डर नहीं दिया था। उन्होंने इन सभी आरोपों को झूठा बताया है। लेकिन अब ये मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के अंदर चलाया जा रहा है। 

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बता दें कि म्यांमार ने सालों से वहां रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को वहां के सभी अधिकारों से वंचित कर दिया है। 1982 के बाद इन लोगों की देश में गैरकानूनी तरीके से रहने वाला बताया गया। सतह ही उनके सारे अधिकार और नागरिक के बेसिक राइट छीन लिए गए।  

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