पाकिस्तान के खैबर परख्तूनख्वां के करक जिले में 30 दिसंबर, 2020 को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक हिंदू मंदिर को तोड़कर आग लगा दी। इस मामले को लेकर दुनियाभर में इमरान सरकार की निंदा हो रही है। बेशक पाकिस्तान सरकार ने इस मामले में 350 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर 26 लोगों को गिरफ्तार करके खुद को पाक दामन करने की कोशिश की है, लेकिन आपको बता दें कि पाकिस्तान में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने का खेल बंटवारे के बाद से ही चल रहा है। 2019 में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि उनके देश में अल्पसंख्यकों की संख्या घटी नहीं, बढ़ी है। लेकिन सच्चाई इससे कोसो दूर हैं। न्यूज लांड्री ने 2 साल पहले एक रिपोर्ट जारी की थी। यह रिपोर्ट अमेरिका में रहने वालीं प्रो. शास्वती सरकार ने तैयार की थी। इसका आधार हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की 74 पेज की रिपोर्ट को बनाया था। इसमें कहा गया कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या 15 प्रतिशत थी। जबकि बंटवारे से पहले 24 प्रतिशत। लेकिन 1998 की जनगणना में यह आंकड़ा सिर्फ 1.6% बचा है। यानी पाकिस्तान से अल्पसंख्यकों का पलायन लगातार जारी है। दरअसल, पाकिस्तान दुनिया में अपनी साख बचाने झूठे आंकड़े पेश करता रहता है। 2018 के चुनाव में पाकिस्तान के इलेक्शन कमीशन ऑफ पाकिस्तान (ECP) ने आंकड़े जारी किए थे। इसमें दावा किया था कि हिंदू वोटर्स बढ़े हैं। आगे पढ़ें पूरी कहानी...