कोई उठाती है मैला, तो कोई बेचती है जिस्म, आजादी के 72 साल बाद भी नर्क भोग रहे ये लोग

हटके डेस्क: 2 दिसंबर को International Day for Abolition of Slavery के तौर पर मनाया जाता है। भले ही भारत आज से 72 साल पहले अंग्रेजों की चंगुल से आजाद हो गया था, लेकिन आज भी  यहां एक ऐसा बड़ा वर्ग है, जो गुलामी का दंश झेल रहा है। इनमें मजदूर वर्ग के लोग शामिल हैं, जो चंद रुपयों के मेहनताने के लिए अपनी आजादी कुछ लोगों को बेच देते हैं। इन्हें बंधुआ मजदूर बनाकर रखा जाता है। आज हम आपको इन्हीं की जिंदगी की झलक दिखाने जा रहे हैं जिसमें भरा होता है बहुत सारा दर्द... 

Asianet News Hindi | Published : Dec 2, 2019 5:10 AM IST
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कोई उठाती है मैला, तो कोई बेचती है जिस्म, आजादी के 72 साल बाद भी नर्क भोग रहे ये लोग
दुनियाभर में भारत में ही सबसे ज्यादा बंधुआ मजदूर हैं। एक अनुमान के मुताबिक, भारत की कुल जनसंख्या का 1.40 प्रतिशत आज किसी की गुलामी कर रहा है।
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गुलामी का दंश झेल रहे ये लोग या तो बाल मजदूर होते हैं या गांव से काम की तलाश में आए बेरोजगार युवा। कई महिलाओं को देह व्यापार में धकेलकर भी उन्हें मजदूर बना लिया जाता है।
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इन मजदूरों की जिंदगी चंद सिक्कों के लिए दूसरों के हाथों में दे दी जाती है। ये अपनी मर्जी से सो नहीं सकते, उठ नहीं सकते। यहां तक कि खाने के लिए भी इन्हें अपने मालिक पर निर्भर करना पड़ता है।
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बच्चों से मजदूरी के वो काम करवाए जाते हैं, जो बड़े तक बेहद डरकर करते हैं।
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आपको बता दें कि इन लोगों के बीमार होने से लेकर मौत तक के लिए प्रशासन लापरवाह है। वैसे तो भारत में बाल मजदूरी गैर कानूनी है लेकिन तब भी खुलेआम आप इन्हें सड़कों पर काम करते हुए देख सकते हैं।
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बता दें कि भारत सरकार द्वारा ये प्रण लिया गया है ि 2030 तक यहां से करीब 1 करोड़ 80 लाख मजदूरों को मुक्त करवाया जाएगा।
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लेकिन तब तक ये बेचारे नर्क भोगने के लिए मजबूर हैं।
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