भारतीय वामपंथी आंदोलन के सांस्कृतिक प्रतिरोध का प्रतीक सफदर हाशमी की 2 जनवरी, 1989 को 34 वर्ष की उम्र में सरेआम हत्या कर दी गई थी। उन पर 1 जनवरी को तब हमला किया गया था, जब वे दिल्ली से सटे साहिबाबाद के झंडापुर गांव में गाजियाबाद नगर पालिका इलेक्शन के दौरान अपने बहुचर्चित नुक्कड़ नाटक 'हल्ला बोल' का प्रदर्शन कर रहे थे। तभी 'जनम' यानी 'जन नाट्य मंच' से जुड़े लोगों पर कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया गया था। इस हमले में रामबहादुर नामक एक नेपाली मजदूर की गोली लगने से मौत हो गई थी। उसने 'जनम' के लोगों को आश्रय दिया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि सफदर की मौत के बावजूद 2 दिन बाद उनकी पत्नी मल्यश्री हाशमी ने उसी जगह पर यह नाटक खेलकर पूरा किया था। इस मामले में गाजियाबाद की कोर्ट ने 14 साल बाद 10 लोगों को आरोपी करार दिया था। जानिए सफदश हाशमी की कहानी....