ऐसे लोगों की दुनिया में कमी नहीं रही है, जो एक नया एक्सपीरियंस पाने के लिए और कुछ नई जानकारी हासिल करने के लिए आबादी से बहुत दूर घने जंगलों में रहने वाले ट्राइब्स के बीच काफी समय गुजारते रहे हैं। आज तो लोग मजबूरी में कोरोना की वजह से आइसोलेशन और लॉकडाउन में रह रहे हैं, लेकिन हर आधुनिक सुख-सुविधा से दूर बरसों तक ट्राइब्स के बीच रहने वाले लोगों के साथ ऐसी कोई मजबूरी नहीं थी। ऐसे ही लोगों में हैं नॉर्वे के 24 साल के इंजीनियर और फिल्ममेकर ऑडुन अमुंडसेन वेस्टर्न इंडोनेशिया के मेन्तावाई ट्राइब के बीच जा कर रहे और उनके जीवन पर 'न्यूटोपिया' (Newtopia) नाम की डॉक्युमेंटरी फिल्म बनाई। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह इस ट्राइब का एक शख्स अमन पाकसा आधुनिकता से प्रभावित होकर शहर जाता है और वहां जॉब की तलाश करता है। ऑडुन अमुंडसेन शुरू में मेन्तावाई ट्राइब के बीच साल 2004 में एक महीने के लिए गए थे, लेकिन वे वहां से 2009 में वापस लौटे। इस बीच, उन्होंने उनकी वह भाषा सीख ली थी जिसकी कोई लिपि नहीं है। तस्वीरों में देखें वेस्टर्न इंडोनेशिया के मेन्तावाई ट्राइब के लोगों की लाइफ कैसी है।