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80 Stories by Manoj Jha

यहां पैसा लगाने में नहीं है कोई जोखिम, मिलेगा बेहतर गारंटीड रिटर्न

Aug 31 2020, 11:05 AM IST

बिजनेस डेस्क। आज के समय में कहीं भी पैसा लगाने से पहले लोग यह देखते हैं कि इसमें कहीं कोई जोखिम तो नहीं है। इसका मतलब यह है निवेश किया गया पैसा कहीं डूबेगा तो नहीं। दूसरी जो बात देखी जाती है, वह निवेश पर मिलने वाले मुनाफे की है। फिर भी जहां गारंटीड रिटर्न मिले, वहां लोग पैसा लगाना ज्यादा ठीक समझते हैं। ऐसी कई स्कीम्स भी होती हैं, जिनमें निवेश पर ज्यादा रिटर्न देने की बात कही जाती है, लेकिन वहां जोखिम ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में पैसा वहीं लगाना चाहिए, जहां रिटर्न भले ही कम हो, लेकिन उसके मिलने की गांरटी हो। जानते हैं ऐसी ही कुछ फिक्सड इनकम स्कीम्स के बारे में। 
(फाइल फोटो)
 

स्वदेशी वीडियो ऐप Mitron में मिलेगा युवाओं को जॉब का मौका, जुटाया 50 लाख डॉलर का फंड

Aug 19 2020, 11:44 AM IST

बिजनेस डेस्क। भारत-चीन के बीच सीमा विवाद और झड़प होने के बाद भारत सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर पाबंदी लगा दी थी, जिसमें टिकटॉक भारतीय यूजर्स के बीच काफी पॉपुलर था। इसके बाद टिकटॉक की जगह स्वदेशी ऐप डेवलप करने की कई कोशिशें की गईं। लेकिन आईआईटी रुड़की के दो स्टूडेंट्स ने इस साल अप्रैल महीने में ही  Mitron नाम का ऐप लॉन्च कर दिया था। यह भी टिकटॉक जैसा ही शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप है। अब इस ऐप के संस्थापकों ने इसे और भी ज्यादा विकसित करने के लिए नेक्सस वेंचर्स पार्टनर्स की अगुआई में 50 लाख डॉलर का फंड हासिल करने की घोषणा की है। इस फंड से जहां इस प्रोडक्ट को और भी विकसित किया जाएगा, वहीं युवाओं को भी जॉब का मौका मिलेगा। 
(फाइल फोटो)
 

कोरोना से पहले ही लॉकडाउन में रहा ये शख्स, जंगली आदिवासियों के बीच हो गया था ऐसा हाल

Apr 19 2020, 11:43 AM IST

ऐसे लोगों की दुनिया में कमी नहीं रही है, जो एक नया एक्सपीरियंस पाने के लिए और कुछ नई जानकारी हासिल करने के लिए आबादी से बहुत दूर घने जंगलों में रहने वाले ट्राइब्स के बीच काफी समय गुजारते रहे हैं। आज तो लोग मजबूरी में कोरोना की वजह से आइसोलेशन और लॉकडाउन में रह रहे हैं, लेकिन हर आधुनिक सुख-सुविधा से दूर बरसों तक ट्राइब्स के बीच रहने वाले लोगों के साथ ऐसी कोई मजबूरी नहीं थी। ऐसे ही लोगों में हैं नॉर्वे के 24 साल के इंजीनियर और फिल्ममेकर ऑडुन अमुंडसेन वेस्टर्न इंडोनेशिया के मेन्तावाई ट्राइब के बीच जा कर रहे और उनके जीवन पर 'न्यूटोपिया' (Newtopia) नाम की डॉक्युमेंटरी फिल्म बनाई। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह इस ट्राइब का एक शख्स अमन पाकसा आधुनिकता से प्रभावित होकर शहर जाता है और वहां जॉब की तलाश करता है। ऑडुन अमुंडसेन शुरू में मेन्तावाई ट्राइब के बीच साल 2004 में एक महीने के लिए गए थे, लेकिन वे वहां से 2009 में वापस लौटे। इस बीच, उन्होंने उनकी वह भाषा सीख ली थी जिसकी कोई लिपि नहीं है। तस्वीरों में देखें वेस्टर्न इंडोनेशिया के मेन्तावाई ट्राइब के लोगों की लाइफ कैसी है। 

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