क्या देखा है कभी ऐसा रेडियो, 1 रुपये वाली माचिस की डिब्बे से इस कलाकार ने बनाया ये अजूबा

हटके डेस्क : एक दौर था जब सुबह की चाय के साथ घरों और बाजारों में रेडियो शुरू हो जाता था। आज के आधुनिक युग में कई लोग रेडियो पर गाने और न्यूज सुनना बहुत पसंद करते हैं। बता दें कि हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day) मनाया जाता है। भारत में रेडियो की शुरुआत 1924 से हुई। इसके बाद साल 1936 में ऑल इंडिया रेडियो बना। 1957 में ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी का नाम दिया गया। आजतक आपने कई प्रकार के रेडियो देखें और उसमें गाने सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं, माचिस की तीलियों से बने रेडियो को। जी हां, माचिस की तीलियों का इस्तेमाल करके ओडिशा के पुरी (Odisha's Puri) जिले में रहने वाले सास्वत रंजन साहू (Saswat Ranjan Sahoo) ने अनोखा काम करके दिखाया। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 13, 2021 6:27 AM IST

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क्या देखा है कभी ऐसा रेडियो, 1 रुपये वाली माचिस की डिब्बे से इस कलाकार ने बनाया ये अजूबा

अक्सर आप माचिस की तीली का इस्तेमाल गैस, दीया या सिगरेट जलाने के लिए करते होंगे। लेकिन इस छोटी सी माचिस की तीली से क्या कभी आपने रेडियो बना देखा है?

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ओडिशा के पुरी  में रहने वाले सास्वत रंजन साहू ने अपनी क्रिएटिविटी से ऐसा ही कारनाम करके दिखाया है। उन्होंने 3,130 माचिस की तीलियों का उपयोग करके इस खास रेडियो को बनाया है। 

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इस रेडियो को देख आप भी दंग रह जाएंगे और कलाकार की कलाकृति को जी भरकर शाबाशी देंगे। अपने इस रेडियो के बारे में सास्वत रंजन साहू बताते हैं कि उन्हें माचिस की तीलियों से रेडियो बनाने में महज 4 दिन लगे।

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बता दें कि इस कलाकर ने 1980 में आए पैनासॉनिक स्टीरियो (Panasonic stereo) की तरह इस माचिस के रेडियो को बनाने की कोशिश की है। 

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ओडिशा के इस कलाकार ने माचिस की तीलियों से भारतीय सेना का टैंक भी बनाया था। इसमें 2,256 माचिस की तीलियों का उपयोग किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने जगन्नाथ पुरी की आकृति भी बनाई थी। 
 

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वर्ल्ड रेडियो डे पर रंजन रेडियो कार्यक्रमों को सुनने के लिए लोगों से अनुरोध भी करते हैं। वो कहते हैं कि मैं सभी रेडियो कार्यक्रमों को अपना समर्थन देता हूं।
 

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बता दें कि 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनता और मीडिया के बीच रेडियो के महत्व को बढ़ाने के लिए जागरूकता फैलाना है। 
 

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आज भले ही पूरी दुनिया में स्मार्टफोन का ट्रेंड हो लेकिन रेडियो के प्रति लोगों की दीवानगी आज भी कम नहीं हुई है। बड़े बुजुर्ग से लेकर यूथ तक अपने फ्री टाइम में रेडियो सुनना पसंद करते हैं।

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