बांग्लादेश के मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, रेप के ज्यादातर मामले सामने ही नहीं आते। पीड़ित महिलाओं को उत्पीड़न और प्रभावकारी लोगों की ओर से दबाव बनाए जाने का डर होता है। इसके अलावा बांग्लादेश की न्याय व्यवस्था भी काफी धीमी है, इसकी वजह से केस को निपटने में सालों का वक्त लग जाता है।