चीन के श्मशानों में लाशों का अंबार, कोई शव उठाने वाला नहीं; इस काम के लिए अब की जा रहीं भर्तियां

China Covid: चीन में कोरोना से बिगड़े हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हालात ये हैं कि न तो अस्पताल में बेड बचे हैं और न ही लोगों को मेडिकल स्टोर्स से दवाइयां मिल पा रही हैं। मरने वालों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि श्मशानों में लाशों का अंबार लगा हुआ है। अंतिम संस्कार के लिए लोगों को 20 दिन की वेटिंग मिल रही है। चीन की ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट जेनिफर जेंग ने वहां के कुछ डरावने वीडियो शेयर किए हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि चीन में कितने बुरे हालात है। 

Ganesh Mishra | Published : Dec 28, 2022 10:33 AM IST

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चीन के श्मशानों में लाशों का अंबार, कोई शव उठाने वाला नहीं; इस काम के लिए अब की जा रहीं भर्तियां

कोरोना से मरने वालों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि चीन में लाशों के ढेर लगे हुए हैं। यहां तक कि कोई शवों को उठाने वाला भी नहीं बचा है। यही वजह है कि वहां अब श्मशान घाटों में लोगों की भर्तियां की जा रही हैं। इस नौकरी के लिए उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है, जो पहले से कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। 
 

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चीन की ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट जेनिफर जेंग ने जो वीडियो शेयर किए हैं, उनमें देखा जा सकता है कि किस तरह वहां शवदाह गृहों के बाहर लाशों के ढेर लगे हुए हैं। अलग-अलग शहरों के श्मशानों की ये तस्वीरें वाकई डराने वाली हैं। हालांकि, बावजूद इसके चीन कोरोना को एक सामान्य फ्लू बता रहा है।

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रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के चेंगदू (Chengdu) शहर के एक बड़े अस्पताल में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ ने बताया कि हम पिछले 30 साल से यहां काम कर रहे हैं, लेकिन इतने बुरे हालात कभी नहीं देखे।  अस्पतालों के अंदर और बाहर कतारें लगी हैं। एंबुलेंस में ही लोगों को ऑक्सीजन दी जा रही है। अस्पताल में दवाइयों का स्टॉक खत्म हो चुका है।

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चेंगदू शहर के सबसे बड़े फ्यूनरल होम के बाहर लाशों के ढेर लगे हुए हैं। यहां 24 घंटे अंतिम संस्कार हो रहे हैं, लेकिन फिर भी शवों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। यहां के कर्मचारी लाशों का अंतिम संस्कार करने में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें खाना खाने तक का वक्त नहीं मिल पा रहा है। फिलहाल 3 जनवरी तक यहां अंतिम संस्कार के लिए स्लॉट बुक हैं। 

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बता दें कि चीन के वुहान शहर में दिसंबर, 2019 में कोरोना का पहला केस मिला था। इसके बाद चीन ने जनवरी, 2020 से अपने यहां जीरो कोविड पॉलिसी लागू कर दी थी। इसके चलते वहां सख्त लॉकडाउन था। हालांकि, जब इसका चौतरफा विरोध शुरू हुआ तो इसे हटा दिया गया। इसके चलते चीन में अचानक कोरोना विस्फोट हो गया। 

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महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के लोगों में जीरो कोविड पॉलिसी के चलते वायरस को लेकर नेचुरल इम्युनिटी डेवलप ही नहीं हो पाई। इसके अलावा वहां बुजुर्ग लोगों का वैक्सीनेशन भी ठीक ढंग से नहीं किया। बाद में विरोध के चलते जब लॉकडाउन हटा तो अचानक लोग वायरस की चपेट में आने लगे, जिससे मेडिकल व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। 

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बता दें कि कोरोना सुनामी के बीच चीन ने एक और ऐसा फैसला लिया है, जिससे पूरी दुनिया के लिए खतरा बढ़ गया है। दरअसल, चीन ने बाहर से आने वाले यात्रियों को आइसोलेट करने का नियम खत्म कर दिया है। कहने का मतलब है कि अब संदिग्ध कोरोना मरीज कहीं भी घूम-घूमकर बीमारी फैलाते रहेंगे। इसके अलावा चीन ने अपने बॉर्डर खोलने का भी फैसला किया है। इससे चीनी लोग बाहर भी जा सकेंगे, जिससे दूसरे देशों में भी बीमारी फैलने का खतरा है। 

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बता दें कि चीन शुरू से ही कोरोना से संबंधित जानकारी और आंकड़े छुपाता रहा है। हाल ही में उसने कहा है कि अब वो कोरोना के सरकारी आंकड़े जारी नहीं करेगा। बता दें कि चीन में पहला कोरोना केस 1 दिसंबर, 2019 को वुहान शहर में मिला था। लेकिन वहां की सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और वायरस को पूरी दुनिया में फैलने दिया। 

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