History in Antarctica: 2 साल और 6 ट्रायल के बाद अंटार्कटिका में बर्फ पर बने रनवे पर पहली बार उतरी फ्लाइट

Published : Nov 24, 2021, 03:42 PM IST

नई दिल्ली. अंटार्कटिका के इतिहास(History in antarctica) में पहली बार एक गजब कारनामा हुआ है। यहां बर्फ के रनवे पर पहली बार कोई विमान सुरक्षित उतारा कराया गया है। पर्यटन के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी Hi Fly ने अंटार्कटिका की बर्फ पर पहली बार एयरबस A340 विमान उतरा। Hi Fly 801 की इस फ्लाइट ने 2 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से उड़ान भरी थी। यह 5 घंटे के सफर के बाद अंटार्कटिका में उतरी। इसके बाद यह वापस केपटाउन के लिए उड़ी। इसे Hi Fly 801 नाम दिया गया था। इस बारे में अब मीडिया में जानकारी सामने आई है। twitter पर इस ऐतहासिक घटनाक्रम की कई तस्वीरें शेयर की गई हैं।

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History in Antarctica: 2 साल और 6 ट्रायल के बाद अंटार्कटिका में बर्फ पर बने रनवे पर पहली बार उतरी फ्लाइट

इस हैरतअंगेज प्रयोग(amazing experiment) पर लंबे समय से काम चल रहा था। बता दें कि अंटार्कटिका में सालभर बर्फ की कई मीटर ऊंची परत जमी रहती है। यहां हवाई जहाज उतारना एक सपना था। इसके लिए बर्फ पर ही 3000 फीट लंबा रनवे तैयार किया गया था। जिस विमान को यहां उतारा गया, उसकी क्षमता 290 यात्री की है। इसकी लंबाई 223 फीट है। इससे ही समझा जा सकता है कि यह लैंडिंग कितनी जोखिमपूर्ण रही होगी। इस प्रयोग को सफल करने से पहले 2019 से 2020 के बीच 6 ट्रायल किए गए थे।

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Hi Fly कंपनी के अनुसार, अंटार्कटिका आने वाले समय में पर्यटन क्षेत्र का एक प्रमुख हिस्सा होगा।अंटार्कटिका को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रयोग किया गया। यहां कंपनी कई प्रोजेक्ट चला रही है। कंपनी वेट लीज की विशेषज्ञ है। यानी यह एयरक्राफ्ट और एयर क्रू को किराए पर लेती है। इसके इंश्योरेंस, मेंटेनेंस और बाकी लॉजिस्टिक्स की जिम्मेदारी भी कंपनी बखूबी निभाती आ रही है।

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जिस विमान को अंटार्कटिका में लैड कराया गया, उसे अंटार्कटिका में काम कर रहे वुल्फ्स गैंग नाम के एडवेंचर कैंप ने कमीशन किया था। विमान के जरिये वुलफ्स गैंग रिजॉर्ट के लिए आवश्यक सामग्री लाई गई थी। 

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विमान को कैप्टन कार्लोस मिरपुरी उड़ाकर अंटार्कटिका पहुंचे थे। वे कोई और नहीं, Hi Fly कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट हैं। कार्लोस ही फ्लाइट को वापस केपटाउन लेकर गए।

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इस टीम ने अंटार्कटिका पर करीब 3 घंटे बिताए। यह यात्रा 2,500 नॉटिकल माइल की थी। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के मिलिट्री पायलट और एक्सप्लोरर जॉर्ज हुबर्ट विल्किंस ने 1928 में अंटार्कटिका तक उड़ान भरी थी। तब वे लॉकहीड वेगा 1 मोनोप्लेन से अंटार्कटिक पहुंचे थे। अंटार्कटिका पर कोई एयरपोर्ट नहीं  है। हालांकि यहां 50 लैंडिंग स्ट्रिप और रनवे अवश्य हैं। अंटार्कटिका यह चारों ओर से दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। अपने 140 लाख वर्ग किलोमीटर (54 लाख वर्ग मील) क्षेत्रफल के साथ यह एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बाद पृथ्वी का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसका 98% भाग औसतन 1.6 किलोमीटर मोटी बर्फ से ढंका रहता है। यह विश्व का सबसे ठंडा, शुष्क और तेज हवाओं वाला महाद्वीप है।

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