जल्द ही भारत में होगी कोरोना वैक्सीन! भारत का बड़ा कदम, सब ठीक रहा तो बड़े स्तर पर होगा उत्पादन

नई दिल्ली. रूस की कोरोना वैक्सीन में भारत रूचि ले रहा है। भारतीय कंपनियों ने रसियन डायरेक्टर इंवेस्टमेंट फंड से कहा है कि वो वैक्सीन के फेज वन और फेज टू के क्नीनिकल ट्रायल से जुड़ी जानकारियां उन्हें मुहैया कराए। आरडीआईएफ ही वह कंपनी है जिसने कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी के रिसर्च और ट्रायल की फंडिंग की है। इसी के पास वैक्सीन की मार्केटिंग और एक्सपोर्ट का अधिकार है।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 15, 2020 12:59 PM IST / Updated: Aug 15 2020, 06:31 PM IST

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जल्द ही भारत में होगी कोरोना वैक्सीन! भारत का बड़ा कदम, सब ठीक रहा तो बड़े स्तर पर होगा उत्पादन


भारत में भी हो सकता है वैक्सीन का उत्पादन
दुनिया की पहली रजिस्टर्ड कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी के रिसर्च दुनिया की पहली रजिस्टर्ड कोरोना वैक्सीन है। अगर भारतीय कंपनियों की आरडीआईएफ से बात आगे बढञी तो भारत में भी इस वैक्सीन का उत्पादन हो सकता है। 
 

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रूसी दूतावास के सूत्रों ने बताया है कि भारतीय कंपनियों ने वैक्सीन को लेकर आईडीआईएफ से संपर्क किया है। कंपनियों ने फेज 1 और फेज 2 के ट्रायल की तकनीकी जानकारी मांगी है। 
 

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इस दौरान सरकार से जरूरी अनुमति मिलने के बाद तीसरे देश को वैक्सीन के निर्यात पर चर्चा हुई। साथ ही घरेलू इस्तेमाल के लिए बी वैक्सीन के उत्पादन पर बात की गई। 
 

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सिर्फ 38 लोगों पर जांच के बाद मंजूरी
चौंकाने वाली बात तो ये हैं कि सिर्फ 38 लोगों पर जांच के बाद वैक्सीन को मंजूरी कैसे मिल गई। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, यही वजह है कि अमेरिका इस वैक्सीन को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है।

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वैक्सीन से दर्द और स्वेलिंग की समस्या
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स भी हैं। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैक्सीन लेने के बाद तेज दर्द और स्वेलिंग की भी समस्या होती है। वहीं कुछ लोगों में कमजोरी, भूख नहीं लगना, नाक बंद होने जैसे मामले भी सामने आए हैं।
 

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सिर्फ 42 दिन की रिसर्च के बाद दी गई मंजूरी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ 42 दिन के रिसर्च के बाद वैक्सीन को मंजूरी दी गई। इस वजह से यह पता नहीं चल सका कि वैक्सीन कितनी अधिक प्रभावी है।
 

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कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई
वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए जो कागजात दिए गए थे, उसमें लिखा था कि महामारी पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई है।
 

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18 से कम, 60 से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन नहीं
18 साल से कम उम्र और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी रूसी वैक्सीन लगाने की इजाजत नहीं दी गई है। क्योंकि ऐसे लोगों पर क्या असर होगा, इसकी जानकारी नहीं है।
 

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प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए नहीं है वैक्सीन
रूस में बनी वैक्सीन प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी नहीं है। इसके अलावा जो लोग पहले से गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं वह भी वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

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