क्या कोरोना वैक्सीन को लेकर रूस ने झूठ बोला? चौंकाने वाली है इसकी रिसर्च और साइड इफेक्ट्स की रिपोर्ट

नई दिल्ली. रूस ने कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है। राष्ट्रपति पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वैक्सीन की पहली डोज उन्होंने अपनी बेटी को दी। इस बयान से वैक्सीन पर भरोसा बढ़ जाता है, लेकिन ऐलान के एक दिन बाद एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। वैक्सीन की जांच सिर्फ 38 लोगों पर की गई। रूस के आधिकारिक दस्तावेजों के हवाले से डेली मेल की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ। वैक्सीन के साइड इफेक्ट की भी बात सामने आई है।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 12, 2020 12:24 PM IST / Updated: Aug 13 2020, 10:06 AM IST
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क्या कोरोना वैक्सीन को लेकर रूस ने झूठ बोला? चौंकाने वाली है इसकी रिसर्च और साइड इफेक्ट्स की रिपोर्ट

सिर्फ 38 लोगों पर जांच के बाद मंजूरी
चौंकाने वाली बात तो ये हैं कि सिर्फ 38 लोगों पर जांच के बाद वैक्सीन को मंजूरी कैसे मिल गई। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, यही वजह है कि अमेरिका इस वैक्सीन को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है।
 

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वैक्सीन से दर्द और स्वेलिंग की समस्या
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स भी हैं। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैक्सीन लेने के बाद तेज दर्द और स्वेलिंग की भी समस्या होती है। वहीं कुछ लोगों में कमजोरी, भूख नहीं लगना, नाक बंद होने जैसे मामले भी सामने आए हैं। 
 

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सिर्फ 42 दिन की रिसर्च के बाद दी गई मंजूरी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ 42 दिन के रिसर्च के बाद वैक्सीन को मंजूरी दी गई। इस वजह से यह पता नहीं चल सका कि वैक्सीन कितनी अधिक प्रभावी है। 
 

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कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई
वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए जो कागजात दिए गए थे, उसमें लिखा था कि महामारी पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई है। 
 

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तो क्या पुतिन ने झूठ बोला?
वैक्सीन की कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई। ऐसे में क्या राष्ट्रपति पुतिन ने झूठ बोला। वैक्सीन लॉन्च करते हुए उन्होंने कहा था कि वैक्सीन सभी जरूरी टेस्ट में पास हो गई है। 

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कई देशों में सप्लाई की तैयारी
इस तमाम कमियों के बीच चौंकाने वाली खबर यह है कि वैक्सीन कई देशों में सप्लाई के लिए तैयार है। हालांकि कई देशों ने रूस के इस कदम की आलोचना की है। डर है कि कहीं वैक्सीन गलत या खतरनाक साबित न हो। 
 

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18 से कम, 60 से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन नहीं
18 साल से कम उम्र और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी रूसी वैक्सीन लगाने की इजाजत नहीं दी गई है। क्योंकि ऐसे लोगों पर क्या असर होगा, इसकी जानकारी नहीं है।

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प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए नहीं है वैक्सीन
रूस में बनी वैक्सीन प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी नहीं है। इसके अलावा जो लोग पहले से गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं वह भी वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। 

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पुतिन ने कहा कि उनकी एक बेटी मारिया और कतेरीना को कोरोनो वायरस वैक्सीन लगाया गया था। 

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