जब इंडियन एंबेसी से रिस्पॉन्स नहीं मिला तो हमने चेर्निविस्ती में हॉस्टल में रह रहे हमारे इंडियन सीनियर से मदद मांगी। फिर उन लोगों ने अपने खर्चे पर वहां आकर हमारी खूब मदद की। कंबल दिया, पानी, खाना सबका इंतजाम किया। जाम की वजह से कंधे पर सामान लेकर चलना पड़ रहा था, जो बहुत कठिन था। जैसे ही बॉर्डर क्रॉस किया तो हमें इंडियन एंबेसी नाम की संस्था दिखी। जिसके बाद हम सभी को शेल्टर होम ले जाया गया।