अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, किसी भी नागरिक की नागरिकता तब तक खत्म नहीं की जा सकती, जब तक उसे किसी दूसरे देश की नागरिकता नहीं मिल जाती। शमीमा ने अपने दलील में भी यही कहा था कि वह किसी देश की नागरिक नहीं है, ऐसे में सरकार के फैसले से वह राज्यविहीन हो गई है।