90 मिनट की गलती और अब हर तरफ दिख रहे शव, इन 7 चूकों की वजह से कोरोना का नया घर बना स्पेन
मैड्रिड. चीन और इटली के बाद अब स्पेन कोरोना वायरस का नया केंद्र बन गया है। यहां अब तक 5138 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 24 घंटे में 769 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। कुल मौतों की बात करें तो स्पेन ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। वहीं, पूरी दुनिया की बात करें तो अभी इटली से पीछे है। लेकिन सवाल ये है कि स्पेन से कहां चूक हुई। क्या वह इटली और चीन से सबक नहीं ले पाया। अब इन गलतियों की सजा पूरा देश उठा रहा है। 4.6 करोड़ आबादी वाले स्पेन में कोरोना से पहली मौत 3 मार्च को हुई थी। इसके 23 दिन में ही स्थिति भयावह हो गई।
Asianet News Hindi | Published : Mar 28, 2020 7:00 AM IST / Updated: Mar 28 2020, 12:41 PM IST
1- तबाही के उदाहरण देख भी सचेत नहीं हुआ स्पेन: स्पेन के सामने चीन, ईरान, द कोरिया और इटली जैसे उदाहरण सामने थे, जहां हर रोज मौते के मामले बढ़ रहे थे। लेकिन स्पेन ने अपने पड़ोसी देशों से भी कोई सीख नहीं ली और जो गलती इटली ने की, उन्हें दोहरा दीं। स्पेन ना तो समय रहते लॉकडाउन जैसे कदम उठा पाया और ना ही साउथ कोरिया जैसा पहले से मेडिकल उपकरण इकट्ठा कर पाया।
2- वायरस को गंभीरता से नहीं लिया: स्पेन वायरस प्रभावित चीन से भौगोलिक रूप से काफी दूर है। ऐसे में स्पेन ने वायरस की इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। जबकि उसकी सीमा इटली से मिली हुई है। यहां तक की 9 फरवरी को मैड्रिड के मेडिकल आपदा प्रमुख ने कहा, स्पेन में काफी कम मामले आएंगे। उनकी ये सोच उनपर भारी पड़ी। 6 हफ्ते के भीतर ही पूरा यूरोप कोरोना की चपेट में आ गया और इटली के बाद स्पेन कोरोना का नया ठिकाना।
3- 90 मिनट का फुटबॉल मैच बना वजह: इटली के वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उनके देश में एक मैच की वजह से कोरोना फैला है। वैज्ञानिक इम्यूनालजिस्ट फ्रांसिस्को ली फोके का कहना है कि महामारी के तेजी से फैलने का कारण चैंपियंस लीग का एक मैच है। 19 फरवरी 2020 को इटली के मिलान में फुटबॉल का एक खेला गया था। इस मैच को देखने के लिए 44 हजार से ज्यादा लोग अन्य जगहों से मिलान पहुंचे थे। इनमें 2,500 वेलेन्सिया फुटबॉल फैंस भी थे। स्पेन में यही संपर्क मुसीबत की वजह बना। स्पेन में ये फैन, खिलाड़ी और खेल पत्रकार सबसे पहले संक्रमित हुए।
4- 8 मार्च को पूरे देश में निकली रैलियां: फरवरी और मार्च में स्पेन में तापमान 20% के करीब रहता है। यहां इस दौरान लोग औसत मौसम का आनंद उठाते नजर आते हैं। मैड्रिड में भी बार और कैफे में काफी भीड़ रहती है। ऐसे में संक्रमण काफी तेजी से फैला। इसके अलावा यहां 8 मार्च को महिला दिवस पर पूरे स्पेन में जुलूस और रैलियां निकाली गईं। इस वक्त दुनियाभर के देश सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लॉकडाउन का ऐलान करते फिर रहे थे।
5- देर से जागी सरकार: कोरोना वायरस के खिलाफ जंग के लिए स्पेनिश सरकार काफी देर से सक्रिय हुई। इसके चलते मेडिकल उपकरणों और सुविधाओं की कमी हो गई। स्पेन में अभी भी वेंटिलेटर्स, डॉक्टर्स, टेस्टिंग किट की कमी है। हालांकि, चीन ने अभी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। यहां वृद्ध लोगों का भी ध्यान नहीं दिया गया और मौत की दर 20% तक पहुंच गई।
6- प्रधानमंत्री ने की देर : प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने ऐलान किया कि वे मौजूदा स्थिति को देखते हुए आपातकाल लगा सकते हैं। लेकिन इस कदम उठाने में 24 घंटे लगा दिए। इस दौरान सबसे प्रभावित मैड्रिड से लोग अन्य शहरों की तरफ भागने लगे। 14 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया गया।
7- क्षेत्रीय सरकारों में नहीं दिखा कोई तालमेल: जब मैड्रिड में बढ़ते हुए मामलों को देखकर स्कूल, दफ्तर और कॉलेज बंद किए गए, तो लोग छुट्टी बिताने के लिए अन्य शहरों में जाने लगे। यहां होटलों और घूमने वाली जगहों पर भीड़ इकट्ठा हुई। इस दौरान स्थानीय प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया।
कैसी है मौजूदा स्थिति? स्पेन में अब तक 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राजधानी मैड्रिड सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां अस्पतालों में जगह नहीं है। इसलिए वृद्धों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। यहां करीब 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, स्पेन में अचानक से केसों में 18% की वृद्धि हुई है। संक्रमण केसों के मामले में स्पेन चौथे नंबर पर आ गया है।
स्पेन मेडिकल इक्विपमेंट्स की भी कमी से जूझ रहा है। ऐसे में स्पेन ने चीन से 467 मिलियन डॉलर में डील भी की है। इसके तहत स्पेन ने 550 मिलियन मास्क, रेपिड टेस्ट किड, रेस्पिरेटर और ग्लव्स खरीदे हैं।
स्पेन में करीब 4.7 करोड़ आबादी है। यहां 14 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। स्पेन में मेडिकल स्टाफ भी कोरोना की चपेट में आ गया है। यहां 5400 कर्मी संक्रमित हो चुके हैं। जो कुल संख्या का 12% है।