इस अमेरिकी बॉम्बर को आते देख कांप जाते हैं दुश्मन के पैर, चीन से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया में होगा तैनात

Published : Nov 05, 2022, 11:52 AM ISTUpdated : Nov 05, 2022, 03:39 PM IST

वाशिंगटन। चीन के साथ बढ़ रहे तनाव को देखते हुए अमेरिका अपने सबसे घातक बॉम्बर विमान B-52 को ऑस्ट्रेलिया में तैनात करने जा रहा है। इस खतरनाक विमान को अपनी ओर आते देख दुश्मन के पैर कांप जाते हैं। यह विमान न्यूक्लियर अटैक कर सकता है।  आठ इंजन वाला यह विमान लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइलों से लैस है। इसके चलते यह दुश्मन के हवाई क्षेत्र के करीब गए बिना ही हमला कर पाता है। आगे पढ़ें B-52 विमानों की तैनाती के बारे में ...  

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इस अमेरिकी बॉम्बर को आते देख कांप जाते हैं दुश्मन के पैर, चीन से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया में होगा तैनात

अमेरिका छह B-52 बॉम्बर विमान को ऑस्ट्रेलिया में तैनात करने की तैयारी कर रहा है। यह हेवी कैटेगरी का बॉम्बर है। इसमें आठ इंजन लगे हैं। भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के साथ बढ़ रहे तनाव को देखते हुए अमेरिका ने इसे उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के एक एयरबेस पर तैनात करने का फैसला किया है। 
 

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B-52 विमानों को ऑस्ट्रेलिया के टिंडल एयरबेस पर तैनात किया जाएगा। इसके लिए वहां विमान के रखरखाव की सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं। ऑस्ट्रेलिया में B-52 विमानों की तैनाती का खुलासा सबसे पहले ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्ट कंपनी (एबीसी) के किया गया था। बाद में अमेरिकी अधिकारियों और ऑस्ट्रेलिया के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इसकी पुष्टि की।
 

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टिंडल एयरबेस में B-52 विमानों तो तैनात करने के लिए जरूरी सुविधा स्थापित करने में 100 मिलियन डॉलर की लागत आएगी। अमेरिकी अधिकारियों ने परियोजना के पूरा होने के लिए कोई समय सीमा जारी नहीं की है। इसके साथ ही यह कहने से भी इनकार कर दिया है कि बी52 को ऑस्ट्रेलिया में कब भेजा जाएगा।
 

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अमेरिकी वायु सेना ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया में अमेरिकी बॉम्बर विमानों को तैनात करने से विरोधियों को हमारी क्षमता के बारे में मजबूत संदेश मिलेगा। यह पहली बार नहीं है जब ऑस्ट्रेलिया में अमेरिकी बी52 बमवर्षकों को भेजा गया है। 2018 में ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना के साथ अभ्यास करने के लिए दो बमवर्षक भेजे गए थे। छह बमवर्षकों की तैनाती महत्वपूर्ण बदलाव का संदेश देती है।
 

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अमेरिकी वायु सेना वर्षों से ऑस्ट्रेलिया में अपने बमवर्षक विमानों को भेज रही है। थिंक टैंक अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के एरिक सेयर्स ने कहा है कि छह बी56 विमानों की तैनाती महत्वपूर्ण है। इससे क्षेत्रीय सहयोगियों और चीन दोनों का ध्यान आकर्षित होगा।
 

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ऑस्ट्रेलिया में बी52 विमानों की तैनाती पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता कमजोर होगी। इससे क्षेत्र में हथियारों की रेस को बढ़ावा मिलेगा। 
 

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B52 विमानों का इस्तेमाल 60 साल से अधिक समय से हो रहा है। लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता के लिए यह विमान अमेरिकी वायु सेना की रीढ़ की हड्डी है। इस विमान का रेंज 14000 किलोमीटर है। यह पारंपरिक और परमाणु हथियारों से लैस है। इसके पास अमेरिका से उड़कर चीन की मुख्य भूमि पर हमला करने की क्षमता है।
 

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ताइवान को लेकर चीन की आक्रामकता बढ़ी है। ऑस्ट्रेलिया में अमेरिका द्वारा बी52 विमानों को तैनात करने का फैसला चीन के लिए साफ संदेश है कि अगर उसने ताइवान पर हमला किया तो चीन का कोई भी इलाका अमेरिकी वायुसेना की पहुंच से दूर नहीं होगा। 
 

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बी-52 विमान 31700 किलोग्राम हथियार लेकर उड़ान भर सकता है। इसे परमाणु हमला करने में सक्षम 12 AGM-129 एडवांस्ड क्रूज मिसाइल, 20  AGM-86A हवा से जमीन पर मार करने वाले क्रूज मिसाइल और आठ बम से लैस किया जा सकता है। 
 

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पारंपरिक हथियार ले जाना हो तो यह विमान आठ एजीएम-84 हार्पून मिसाइल, चार एजीएम-142 रैप्टर मिसाइल, 20 AGM-86C एयर-लॉन्च क्रूज मिसाइल, 12 ज्वाइंट स्टैंड-ऑफ वेपन, 12 ज्वाइंट डायरेक्ट-अटैक मूनिशन और 16 विंड-करेक्टेड मूनिशन डिस्पेंसर (WCMD) के साथ ही 23 हजार किलोग्राम भारी बमों को ले जा सकता है। 
 

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