कौन था मेजर जनरल कासिम सुलेमानी, वह अमेरिका के लिए कैसे बन गया था खतरा

Published : Jan 03, 2020, 03:05 PM IST

बगदाद. इराक के बगदाद एयरपोर्ट पर गुरुवार देर रात अमेरिकी एयरस्ट्राइक में 8 लोगों की मौत हो गई। इस हमले में ईरान के एलिट फोर्स के जनरल कसीम सुलेमानी (Qassem Soleimani) भी मारे गए। अमेरिका ने यह हमला बगदाद में स्थित उसके दूतावास पर हमले के बाद किया। दूतावास पर हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि इसकी कीमत ईरान को चुकानी पड़ेगी। अमेरिका ने सुलेमानी को निशाना बनाया, इसके पीछे भी वजह है।   

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कौन था मेजर जनरल कासिम सुलेमानी, वह अमेरिका के लिए कैसे बन गया था खतरा
दरअसल, सुलेमानी अमेरिका के लिए खतरा बन गए थे। वे ईरान की विदेशों में काम करने वाली यूनिटों का जिम्मा संभालते थे। ईरान और अमेरिका के बीच चल रही लड़ाई में सुलेमानी अहम भूमिका निभा रहे थे। ईरान रिवॉलूशनरी गार्ड्स के प्रमुख कासिम को ईरान में सेलेब्रिटी की तरह देखा जाता था। वे सीधे तौर पर ईरान के सर्वोच्च नेता से ही संपर्क में रहते थे।
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सुलेमानी के बढ़ते कद से परेशान था अमेरिका: सीरिया और ईराक में भी सुलेमानी की अहम भूमिका थी। वे पश्चिम एशिया के ज्यादातर मिशन को देखते थे। मिडिल ईस्ट में सुलेमानी के बढ़ते कद से अमेरिका नाराज था। अमेरिका नहीं चाहता था कि उसका कद दूसरे देशों में और बढ़े। सुलेमानी की मजबूती का फायदा ईरान को मिल रहा था। अमेरिका ही नहीं इजरायल, सऊदी और पश्चिमी देशों भी सुलेमानी से परेशान थे।
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लेबनान में आतंकी सेना का किया समर्थन: कुद्स फोर्स ने पिछले 16 साल में इराक, सीरिया और यमन जैसे देशों में हो रहे गृहयुद्धों का जमकर फायदा उठाया। ईरान इन ताकतों का इस्तेमाल इजराइल के खिलाफ करने और महाशक्ति बनने में भी कर रहा था। अमेरिका को यह मंजूर नहीं था। लेबनान में भी सुलेमान की कुद्स फोर्स ने आतंकी सेना हिज्बुल्लाह का समर्थन किया।
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हिज्बुल्लाह इजरायल के खिलाफ लगातार जंग छेड़े हुए है। 24 जनवरी 2011 को सुलेमानी को सर्वोच्च नेता अली खुमैनी ने मेजर जनरल के रूप में पदोन्नत कर दिया था। खुमैनी के साथ उनके करीबी रिश्ते थे और वह सुलेमानी को जिंदा शहीद कहते थे।
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ईराक में फोर्स किया तैयार: इराक में आईएस के खात्मे के लिए सुलेमान ने कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट किया। उन्होंने इराक में पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स भी बनाने में मदद की। उन्होंने आतंकी संगठन हिजबुल्लाह और हमास को भी समर्थन दिया। ईरान और इराक के बीच 1980 के दशक में हुए युद्ध में सुलेमानी ने अहम भूमिका निभाई। इस युद्ध में अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था, तभी से सुलेमानी अमेरिका का दुश्मन था। हालांकि, बाद में सद्दाम से अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए और उसे फांसी दे दी।

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