इस देश में मजदूरों जितनी है डॉक्टर्स की सैलरी, फिर भी इटली अमेरिका जैसे देश हाथ फैलाकर मांगते हैं मदद

हवाना. दुनिया में 199 देशों पर कोरोना का कहर है। अब तक 33 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना का कहर दुनिया की बड़ी शक्तियां कहे जाने वाले देश अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और इटली समेत तमाम छोटे देशों पर भी है। ऐसे में एक छोटा सा देश है, जो मुश्किल वक्त में भी महफूज है। इतना ही नहीं, इटली, जर्मनी जैसे देश भी इस देश से मेडिकल हेल्प मांग रहे हैं। हम बात कर रहे हैं क्यूबा की। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 30, 2020 8:04 AM IST / Updated: Mar 30 2020, 01:43 PM IST
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इस देश में मजदूरों जितनी है डॉक्टर्स की सैलरी, फिर भी इटली अमेरिका जैसे देश हाथ फैलाकर मांगते हैं मदद
क्यूबा में अब तक 139 मामले सामने आए हैं। यहां 3 लोगों की मौत हो चुकी है। क्यूबा में पहला मामला 11 मार्च को सामने आय़ा था। यहां इटली से 3 पर्यटक आए थे। इसके बाद क्यूबा के मेडिकल स्टाफ के हजारों कर्मचारी सड़कों पर उतर आए।
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जिन जिन इलाकों में इटली के ये पर्यटक गए थे। वहां, जांच की गई। मेडिकल कर्मियों ने घर घर जाकर लोगों की जांच की। इस दौरान 1500 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। 100 से ज्यादा केस सामने आए।
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इतना ही नहीं क्यूबा ने अपने देश में फंसे ब्रिटेन के क्रूज पर मदद की पेशकश की। इसमें 5 नागरिक कोरोना से संक्रमित थे, जबकि कई लोगों में उसके लक्षण भी दिख रहे थे।
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इतना ही नहीं इटली के लोम्बार्डी में भी क्यूबा का मेडिकल स्टाफ मदद के लिए पहुंचा है। पिछले दिनों क्यूबा के मेडिकल स्टाफ ने एक वीडियो जारी कर दिखाया था कि कैसे उनके देश के स्टाफ ने लोम्बार्डी में अस्थाई अस्पताल बनाकर लोगों का इलाज कर रहे हैं।
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क्यूबा का हेल्थ सिस्टम दुनियाभर में काफी अच्छा माना जाता हैं। जहां एक ओर यहां लोगों की औसत सैलरी सिर्फ 20 डॉलर है, वहीं, देश की जनता के लिए इतनी अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था आश्चर्य की बात है।
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इसका प्रमुख कारण क्यूबा में अच्छी तरह से प्रशिक्षित डॉक्टर हैं, जो एक अच्छी स्वास्थ्य प्रणाली उपलब्ध करा रहे हैं।
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दुनिया के अन्य देशों और क्यूबा में प्रमुख अंतर यह है कि यहां के संविधान में स्वास्थ्य सुविधा को मौलिक अधिकार माना गया है। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका की बात करें तो यहां मरीजों को ग्राहक माना जाता है।
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आंकड़ों की बात करें तो क्यूबा में एक पुरुष की औसत उम्र 77 साल है। वहीं, एक महिला की औसत उम्र 83 साल है। यहां हर 150 नागरिकों पर 1 डॉक्टर है। यह अन्य विकसित देशों की तुलना में काफी बेहतर है।
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वहीं, सैलरी की बात करें तो क्यूबा में डॉक्टरों को अधिकतम 60 डॉलर यानी करीब 4500 रुपए मिलते हैं। वहीं, जब ये डॉक्टर दूसरे देशों में जाते हैं तो वे लाखों करोड़ों रुपए कमाते हैं। क्यूबा 1963 से अपने डॉक्टरों को दूसरे देश में आपदाओं के वक्त भेजता रहा है।
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2015 में क्यूबा के करीब 37 हजार डॉक्टर दुनिया के 77 देशों में काम कर रहे थे। वे क्यूबा सरकार के लिए करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। क्यूबा अब तक 158 देशों में 3 लाख डॉक्टर भेज चुका है।
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क्यूबा में करीब 11.27 मिलियन यानी 1.27 करोड़ आबादी है। यहां 452 अस्पताल हैं। WHO के मुताबिक यहां मातृ मृत्यू दर सिर्फ 6 (प्रति 1000 पर) है। जबकि दुनियाभर में यह औसत 42.5 है।
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क्यूबा कई सारे टीके भी बना चुका है। इससे पहले फेफड़ों के कैंसर का वैक्सीन तैयार कर चुका है। इसके अलावा क्यूबा ने मां से गर्भ में एचआईवी ना पहुंचे इसके लिए भी वैक्सीन बनाया है।
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क्यूबा ने 2015 में अपनी जीडीपी का 10.57% हेल्थ सेक्टर पर खर्च किया था। जबकि यूरोप का औसत 10% था। अमेरिका ने इसमें 17.1% खर्च किए थे।
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दुनियाभर में कोरोना से अब तक 33 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका, चीन, इटली, स्पेन और फ्रांस सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। अमेरिका में करीब 1.4 लाख मामले सामने आए हैं। यहां 2200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
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मौत के मामले में इटली सबसे आगे है। इटली में स्थिति काबू में होती नजर नहीं आ रही है। यहां पिछले 24 घंटे में 756 लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में अब तक 10779 लोगों की मौत हुई है। वहीं, संक्रमण के केस 97 हजार के पार पहुंच चुके हैं।
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