त्योहारों के मौसम में रहें संभल कर, मिलावटी मिठाइयों से करें परहेज

त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है। इस दौरान लोग जम कर मिठाइयां खाते और खिलाते हैं। खासकर दिवाली जैसे त्योहार पर तो मिठाइयों की धूम मच जाती है। लोग घरों में मिठाइयां खाने के साथ उपहार में भी मिठाइयों के पैकेट देते हैं। इस दौरान नकली मिठाइयां काफी बनती हैं, जिनके सेवन से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

हेल्थ डेस्क। त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है। इस दौरान लोग जम कर मिठाइयां खाते और खिलाते हैं। खासकर दिवाली जैसे त्योहार पर तो मिठाइयों की धूम मच जाती है। लोग घरों में मिठाइयां खाने के साथ उपहार में भी मिठाइयों के पैकेट देते हैं। इस दौरान नकली मिठाइयां काफी बनती हैं, जिनके सेवन से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसे देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों को मिलावटी मिठाइयों से परहेज करने की सलाह दी है। यह समझना जरूरी है कि जितनी मांग होती है, उस हिसाब से दूध या खोए की असली मिठाई नहीं बनाई जा सकती। इसलिए आपको मिठाई खरीदते समय हर बात का ठीक से ध्यान रखना चाहिए।

नकली माल की है भरमार
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अरविन्द अग्रवाल कहते हैं कि अब तो नकली दूध, नकली मावा, नकली देसी घी और यहां तक कि नकली फलाहार भी बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा है और अगर सावधानी नहीं बरती जाए तो इनके सेवन से तबीयत खराब होने से लेकर जान जाने तक का खतरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि सेहत के नजरिए से खोया के सेवन में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अगर यह दूध से बना होने के स्थान पर सिंथेटिक चीजों से बना हो तो इसकी मिठाई खाने से शरीर के महत्त्वपूर्ण अंगों जैसे ह्रदय, किडनी और लिवर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।

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त्योहारों में बढ़ जाती है दूध की मांग
डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि त्योहारों में दूध की मांग बहुत बढ़ जाती है और इसे पूरा करने के लिए शैम्पू, डिटर्जेंट, यूरिया और दूसरे खतरनाक केमिकल के मिश्रण से नकली दूध तैयार किया जाता है। ये खतरनाक केमिकल, खासकर यूरिया किडनी संबंधी बीमारियों को पैदा करता है। इसका लगातार सेवन करने से लिवर भी खराब हो जाता है। डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि जानवरों की चर्बी और रसायनों से कृत्रिम तरीके से बनाये जाने वाले नकली देसी घी से पेट में इन्फेक्शन हो सकता है और इससे हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।

ड्राई फ्रूट्स भी सुरक्षित नहीं
गुरुग्राम के कोलंबिया एशिया अस्पताल में पोषण और आहार विशेषज्ञ डॉक्टर शालिनी ब्लिस का कहना है कि त्योहारों में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पुराने और खराब ड्राई फ्रूट्स को खूबसूरत पैकिंग में सजाकर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जाता है। इस तरह के मेवे फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं। धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर महेश गुप्ता बताते हैं कि एफएसएसएआई यानी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया खाद्य पदार्थों के लिए मानक तय करता है। ऐसे में, कोई भी खाने की चीज लेते समय ध्यान दें कि वह एफएसएसएआई द्वारा मान्यता प्राप्त हो।


 

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