सोशल फोबिया एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं। सोशल फोबिया के शिकार लोग समाज में लोगों से कम ही घुलते-मिलते हैं और अकेला रहना पसंद करते हैं, लेकिन इससे उनमें तनाव की समस्या पैदा हो जाती है।
हेल्थ डेस्क। सोशल फोबिया एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं। सोशल फोबिया के शिकार लोग समाज में लोगों से कम ही घुलते-मिलते हैं और अकेला रहना पसंद करते हैं, लेकिन इससे उनमें तनाव की समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे लोग भीड़ से बचना चाहते हैं। अपिरिचित लोगों से दूर रहते हैं। ये ज्यादा किसी से बात नहीं करते। इनमें शर्म और संकोच की भावना ज्यादा होती है। लोगों के बीच ये घबराने लगते हैं। इससे करियर में भी ये पिछड़ जाते हैं और किसी क्षेत्र में इन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिल पाती। अब इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे बीमारी मानने को तैयार ही नहीं होते। इस मानसिक बीमारी के लक्षणों को जानना जरूरी है, ताकि कोई इस समस्या से पीड़ित हो तो उसका इलाज करवाया जा सके।
1. एंग्जायटी डिसऑर्डर
सोशल फोबिया की समस्या से जूझ रहा व्यक्ति एंग्जायटी की समस्या से भी पीड़ित होता है। उसके मन में किसी न किसी तरह की चिंता गहराई से जड़ जमाए रहती है। वह भीतर ही भीतर घुटता रहता है, पर किसी पर भरोसा नहीं होने के कारण अपनी समस्या बताता नहीं। साथ ही, किसी से बात करने में घबराहट भी महसूस करता है।
2. आत्मसम्मान कम होना
सोशल फोबिया के शिकार लोगों में आत्मसम्मान की भावना की कमी होती है। उन्हें लगता है कि कहीं कोई उनकी बेइज्जती न कर दे। दरअसल, ऐसे लोग जरूरत से ज्यादा संवेदनशील होते हैं, लेकिन उनमें नकारात्मक भावनाएं आ जाती हैं। ऐसा कई कारणों से हो सकता है। अक्सर जिन बच्चों को ज्यादा दबा कर रखा जाता है या बचपन में उनका यौन शोषण होता है, वे सोशल फोबिया के ज्यादा शिकार होते हैं।
3. लोगों से दूर भागना
सोशल फोबिया के शिकार व्यक्ति अनजान लोगों से दूर भागते हैं और परिचित लोगों के साथ भी ज्यादा समय बिताना पसंद नहीं करते। वे अकेले रहना चाहते हैं। किसी काम में भी उनका मन नहीं लगता। ऐसे लोगों को किसी फैमिली फंक्शन में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि ऐसे मौके पर काफी लोग आते हैं।
4. पसीना आना
जिन लोगों को सोशल फोबिया की बीमारी होती है, उन्हें लोगों की भीड़ में पसीना आने लगने लगता है और घबराहट होती है। वे जल्दी से एकांत में जाने का मौका तलाश करने लगते हैं। सोशल फोबिया से पीड़ित लोग किसी मंच पर भाषण नहीं दे सकते। इसके शिकार स्टूडेंट भी स्कूल-कॉलेज के फंक्शन में जाने से बचते हैं और जाना ही पड़ा तो अलग-थलग रहते हैं।
5. कल्पना जगत में खोए रहना
सोशल फोबिया से पीड़ित लोग अक्सर अकेले पड़े-पड़े कल्पना जगत में खोए रहते हैं। ये अपने भविष्य और कामों के बारे में सोचते जरूर हैं, पर उसे कार्य रूप में बदल नहीं पाते। ऐसे लोग मनोरंजन के साधनों जैसे टीवी वगैरह से भी दूरी बनाए रखते हैं। एक बात देखी गई है कि सोशल फोबिया से पीड़ित लोग किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। यह एक सकारात्मकता उनमें होती है।
अब इस बीमारी का सफल इलाज संभव है। इसके लिए काउंसलिंग की जाती है और कुछ दवाइयां भी दी जाती हैं।