मुकेश अंबानी की IVF बेबी हैं ईशा अंबानी और आकाश, जानें क्या होता है ये फर्टिलिटी ट्रीटमेंट

आईवीएफ तकनीक (IVF) उन कपल के लिए वरदान की तरह है जो नेचुरल तरीके से माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं। निसंतान दंपत्तियों की गोद में इस तकनीक से किलकारी गूंज रही है। दुनिया के सबसे अमीर शख्स में शुमार मुकेश अंबानी और नीता अंबानी की जिंदगी में इसी तकनीक के जरिए खुशियां आई थीं।
 

हेल्थ डेस्क. आईवीएफ (IVF) तकनीक आने से उन लोगों के लिए वरदान साबित हुआ जो सालों से बेबी के लिए ट्राई कर रहे थे। इस तकनीक को आम लोगों से लेकर सेलिब्रिटी तक माता-पिता बनने के लिए अपना रहे हैं। शायद ही आपको बता होगा कि देश के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी (Mukesh ambani) के दो बच्चे ईशा अंबानी (Isha Ambani) और आकाश अंबानी (akash ambani) भी आईवीएफ बेबी हैं। इस बात का खुलासा उनकी बेटी ईशा ने एक इंटरव्यू में  किया था कि वो और उनके जुड़वा भाई आईवीएफ से हुए हैं।

दरअसल, कई कारणों की वजह से महिलाएं कभी-कभी नेचुरली कंसीव नहीं कर पाती हैं।नीता अंबानी भी शादी के सात साल तक कंसीव नहीं कर पाई थी। जिसके बाद उन्होंने आईवीएफ कराया और प्रेग्नेंट हुईं। उन्होंने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। आइए जानते हैं आईवीएफ क्या है।

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क्या है आईवीएफ

आईवीएफ ( इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन ) को पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता था। जो महिलाएं कंसीब नहीं कर पाती हैं उन्हें आईवीएफ के जरिए कंसीव कराया जाता है। इस प्रक्रिया में महिला के ओवरी से मैच्योर एग को लेते हैं। मेल पार्टनर के स्पर्म लेकर इसे ट्यूब में डालकर लैंब में फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद फर्टिलाइज एग यानी भ्रूण को महिला के ओवरी यानी गर्भाशय में डाला जाता है। आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया होने में 3 हफ्तों से ज्यादा वक्त लगता है। इतना ही नहीं एक से अधिक साइकिल (IVF Cycle) की जरूरत पड़ सकती है।

ओवरी से एग निकालना और भ्रूण डालने के बीच का वक्त

ओवरी से एग निकालने की प्रक्रिया हॉस्पिटल में होती है। महिला के ओवुलेशन पीरियड के  34 से 36 घंटे बाद एग निकाला जाता है। वहीं पुरुष अपना स्पर्म मस्टरबेशन के जरिए देते हैं। अंडों को महिला ओवरी से निकालने के 5 दिन के भीतर भ्रूण को उसमें ट्रांसफर करना पड़ता है।

आईवीएफ से बरतने वाली सावधानी

अगर महिला के शरीर में विटामिन -डी की कमी है तो आईवीएफ फेल हो सकती है।
अगर महिला की थाइराइड रिपोर्ट ठीक नहीं है तो ऐसी स्थिति में आईवीएफ के फेल होने के चासेंज होते हैं।
पति या पत्नी को ज्यादा शुगर होने पर भी आईवीएफ असफल हो सकता है।
पति के स्पर्म काउंट कम या क्वालिटी खराब होने पर आईवीएफ की संभावना कम होती है। 
महिला के ओवरी में अगर कोई समस्या होती है तो आईवीएफ नहीं ठहरता है।

IVF की स्थिति में होती है

महिला में PCOD जैसी स्थितियों के कारण ओव्यूलेशन में समस्या
स्पर्म काउंट कम होने की स्थिति में
एंड्रोमेट्रोसिस की वजह से प्रेग्नेंसी नहीं हो रही हो
फैलोपियन ट्यूब के साथ समस्याएं
अन्य फर्टिलिटी इलाजों के असफल हो जाने पर 

कितनी कारगर है आईवीएफ?

आईवीएफ की सफलता उम्र और फर्टिलिटी प्रॉब्लम पर निर्भर करती है। अमेरिकन प्रेग्‍नेंसी एसोसिएशन के अनुसार आईवीएफ ट्रीटमेंट कराने वाली 35 साल से कम उम्र की 41 से 43 फीसदी महिलाओं ने बच्‍चे को जन्‍म दिया। जबकि 40 के बाद इसके रेट में गिरावट आ जाती है। इस उम्र में सक्सेस रेज महज 13 से 18 प्रतिशत के बीच होता है।

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