आजादी की लड़ाई में कवियों, लेखकों और शायरों का रहा अहम योगदान, जानिए ऐसे 10 लोगों के बारे में

भारत के महान साहित्यकारों ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया था। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से युवकों में आजादी के लिए लड़ने का जज्बा पैदा किया था।

Asianet News Hindi | Published : Mar 27, 2022 5:05 PM IST

नई दिल्ली। भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए। इस अवसर पर देश में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके जरिए देश की आजादी के आंदोलन में अपनी जान न्योछावर करने वाले लाखों क्रांतिकारियों को याद किया जा रहा है। आजादी की लड़ाई में तत्कालीन राजनेताओं का ही नहीं, बल्कि साहित्यकारों, कवियों, वकीलों और छात्रों का भी अहम योगदान था। साहित्यकारों ने वंदे मातरम् जैसी महान और अमर रचनाओं से न केवल आजादी की लड़ाई में नई जान फूंकी बल्कि भारतीय भाषाओं के साहित्य को मजबूती देते हुए नए आयाम प्रदान किए। ऐसे की कुछ महान साहित्यकारों के बारे में हम आपको आज बता रहे हैं। 

रविंद्रनाथ टैगोर
भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता और काव्य, कथा, संगीत, नाटक, निबंध जैसी साहित्यिक विधाओं में अपना सर्वश्रेष्ठ देने वाले एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर का आजादी की लड़ाई में अहम योगदान रहा है। उन्होंने अपनी कविताओं और रचनाओं के जरिए देश के युवाओं में देश प्रेम की भावना जागृत किया। उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में नाइटहुड की उपाधि त्याग दी थी।
 
बंकिम चंद्र चटर्जी 
भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के रचयिता और बंगाल के लोकप्रिय उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। 1874 में इनके द्वारा लिखा गया देश प्रेम से ओत-प्रोत गीत वंदे मातरम् भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों का प्रेरणा स्रोत और मुख्य उद्घोष बन गया था। इस गीत ने देश के लोगों की रगों में उबाल ला दिया था। यह गीत बाद में उपन्यास आनंदमठ में भी शामिल किया गया था। ऐतिहासिक और सामाजिक तानेबाने से बुने हुए इस उपन्यास ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बहुत योगदान दिया।

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सुभद्रा कुमार चौहान
राष्ट्र प्रेम प्रेरक महिलाओं में सुभद्रा कुमार चौहान का नाम बड़े ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। सुभद्रा ने स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काम किया। वह मूलत: कवि थी। इन्हें क्रांति गीत लिखना बेहद पंसद था। तत्कालीन पत्र -पत्रिकाओं में उग्र रचनाएं छापकर वे देशवासियों के विद्रोह की भावना को जागृत करने का प्रयास करती थीं। इन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पर ऐतिहासिक कविता लिखी थी।
 
राम प्रसाद बिस्मिल
काकोरी कांड के नायक राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी कृतियों के जरिए युवाओं के अंदर देश प्रेम की भावना जागने का प्रयास किया था। आजादी की लड़ाई के दौरान इनका लिखा प्रसिद्ध गीत सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है, जोर कितना बाजुए कातिल में है, युवाओं की जुबान पर था। उन्होंने अपने गीत के जरिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया था।
 
श्यामलाल गुप्त पार्षद
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी, पत्रकार और समाजसेवी श्यामलाल गुप्त पार्षद ने अपनी लेखनी के जरिए आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा लिखा गया गीत विजयी विश्व तिरंगा प्यारा ने आजादी के मतवालों में जोश भरने का काम किया था।
  
मोहम्मद इकबाल
मोहम्मद इकबाल ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मुस्लिम समाज को जगाया और क्रांति के लिए प्रेरणा दी। इनके द्वारा रचित 'सारे जहां से अच्छा हिदुस्तां हमारा' ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे युवाओं में जोश भर दिया था। 

मैथली शरण गुप्त
राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त ने अपनी रचनाओं के जरिए आजादी के मतवालों में जोश भरने का काम किया था। उन्होंने राष्‍ट्रीयता का प्रचार-प्रसार कर भारत के रणबांकुरों को स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बहुत सरल शब्दों में देश के लोगों की चेतना को झकझोर कर रख दिया था। उनकी देश भक्ति की कविताओं को लोग आज भी पढ़कर रोमांचित हो उठते हैं।

भारतेंदु हरिश्चंद्र
आजादी की लड़ाई में भारतेंदु हरिश्चं‍द्र ने अहम भूमिका निभाई थी। जहां देश में अनेक मोर्चों पर लोग आजादी के लिए संघर्षरत थे। उन्होंने साहित्य के माध्यम से बड़े साहित्यकारों को इस दिशा में एकजुट किया था। इनके द्वारा रचित भारत दर्शन देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत थी। उन्होंने अग्रेजों द्वारा देश की जनता पर किए जा रहे जुल्मों का जमकर विरोध किया था। उन्होंने 'अंधेर नगरी चौपट राजा' नामक व्यंग्य के जरिए राजाओं की निरंकुशता और ब्रिटिश सरकार के जुल्मों का सटीक वर्णन किया था।
 
मुंशी प्रेमचंद्र
मुंशी प्रेमचंद्र ने अपनी कृतियों के माध्यम से देश के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जागृत किया था। उनकी 'रंगभूमि' और 'कर्मभूमि' उपन्यास देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत था। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश की जनता में ऐसा जन-जागरण का अलख जगाया कि वह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुंकार भरने लगी। इसके चलते प्रेमचंद की काफी  सारी रचनाओं पर रोक लगा दी गई थी।
 
रामधारी सिंह दिनकर
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने भी अपनी रचनाओं के जरिए अंग्रेजी हुकूमत की चुलें हिलाकर रख दी थी। इन्हें आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप जाना जाता है। दिनकर ने अपनी रचनाओं के जरिए अग्रेंजों द्वारा भारतीय जनता पर किए जा जुल्म का जमकर विरोध किया था। इन्हें विद्रोही कवि के रूप में भी जाना जाता था।

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