India@75: तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में आदिवासी आंदोलनों में उठा- जल, जंगल, जमीन का नारा

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के आदिवासी आंदोलनों के दौरान जल, जंगल, जमीन का नारा गूंजा था। यह नारा इतना प्रसिद्ध हुआ कि आज भी आदिवासियों द्वारा इसका प्रयोग किया जाता है।

नई दिल्ली. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जल, जंगल, जमीन का नारा काफी प्रसिद्ध हुआ था। दरअसल, कोमाराम भीम ने सबसे पहले यह नारा लगाया था। भीम, निजामों द्वारा शासित पुराने हैदराबाद साम्राज्य के गोंड जनजाति के महान नायक थे। भीम ने अंग्रेजों, निजाम और जमींदारों के खिलाफ अपने कबीले के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और आखिरकार शहीद हो गए।

कौन थे कोमाराम भीम
कोमाराम भीम का जन्म उत्तरी हैदराबाद के आसिफाबाद में सांकेपल्ली के एक गोंड परिवार में हुआ था। वह चंदा-बल्लारपुर वन क्षेत्र में पले-बढ़े जो कि स्थानीय जमींदारों की मिलीभगत से निजाम की पुलिस द्वारा आदिवासियों के शोषण और यातना के लिए बदनाम था। अधिकारियों द्वारा अत्यधिक कर लगाने के प्रयासों और आदिवासियों को बाहर निकालने के लिए खनन लॉबी के प्रयासों का गोंडों ने काफी विरोध किया। उन संघर्षों के दौरान कोमाराम भीम के पिता मारे गए थे। इसके बाद भीम और उनका परिवार करीमनगर क्षेत्र में चले गए। लेकिन निजाम और जमींदार की सेना के अत्याचारों ने भीम का वहां भी सामना हुआ। उन दिनों भीम के हाथों एक पुलिसकर्मी मारा गया था।

Latest Videos

फिर लौटे हैदराबाद
इसके बाद भीम चंद्रपुर भाग गये, जहां वह विठोबा के संरक्षण में रहे। वे प्रकाशक थे जो अंग्रेजों और निजाम के खिलाफ लड़ रहे थे। विठोभा ने भीम को उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी सिखाई। लेकिन जब विठोभा को गिरफ्तार किया गया तो भीम असम के लिए रवाना हो गए। असम में चाय बागानों में काम करते हुए भीम ने मजदूर संघर्षों का नेतृत्व किया। इससे भीम की गिरफ्तारी हुई लेकिन वह जेल से कूद गए और हैदराबाद लौट आए। भीम अपने समुदाय के संघर्षों में शामिल हो गए और एक स्वतंत्र गोंड भूमि की मांग उठाई। उन्होंने जमींदारों के खिलाफ छापामार लड़ाई का नेतृत्व किया। निजाम सरकार द्वारा उन्हें खुश करने के प्रयासों को भीम ने खारिज कर दिया था। उन्होंने तेलंगाना के महान संघर्ष के लिए काम करने के लिए प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भी काम किया। भीम को पकड़ने के सारे प्रयास विफल रहे।

हुई थी अंधाधुंध फायरिंग
1940 में भीम और उसके साथी जोदेघाट गांव में छिपे हुए थे। जल्द ही पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी राइफल लेकर गांव में पहुंची और उन झोपड़ियों को घेर लिया जहां भीम और अन्य लोग रह रहे थे। पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की। भीम और उसके 15 साथियों की मौके पर ही मौत हो गई। भीम के ठिकाने को उसके हमवतन ने पुलिस को लीक कर दिया था। आज कोमाराम भीम अपने क्षेत्र के गोंडों द्वारा पूजनीय लोक नायक हैं। तब से आसिफाबाद को कोमाराम भीम जिले का नाम दिया गया।

यहां देखें वीडियो

यह भी पढ़ें

10 साल की उम्र में बनाया था पहला कार्टून, एक 'लकीर' खींच चेहरे पर मुस्कान ला देते थे कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग

Share this article
click me!

Latest Videos

जेल से बाहर क्यों है Adani? Rahul Gandhi ने सवाल का दे दिया जवाब #Shorts
ठहाके लगाकर हंसी फिर शरमा गईं IAS Tina Dabi, महिलाओं ने ऐसा क्या कहा जो गुलाबी हो गया चेहरा
UP By Election Exit Poll: उपचुनाव में कितनी सीटें जीत रहे अखिलेश यादव, कहां चला योगी का मैजिक
महाराष्ट्र-झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, चौंका रहे एग्जिट पोल। Maharashtra Jharkhand Exit Poll
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!