अभिनव बिंद्रा पहले भारतीय हैं जिन्होंने निशानेबाजी में ओलंपिक पदक हासिल किया है। वह सबसे सफल भारतीय निशानेबाजों में से एक हैं, जिन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सफलता पाई और देश के लिए प्रशंसा अर्जित की।
नई दिल्ली। भारत इस साल अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस खास मौके पर हम हमारे पाठकों के लिए लेकर आए हैं खास शख्सियतों से जुड़ी खास जानकारी। इन 75 वर्षों के दौरान इन शख्सियतों ने न केवल अपने-अपने क्षेत्र में बड़ी सफलता अर्जित की, बल्कि अपने आचरण से दूसरों को प्रेरणा दी। हम बात कर रहे हैं देश में निशानेबाजी के पर्याय कहे जाने वाले अभिनव बिंद्रा की।
अभिनव बिंद्रा का जन्म 28 सितंबर, 1982 को देहरादून में एक अमीर पंजाबी परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम अभिनव सिंह बिंद्रा है। उनके पिता का नाम अर्पित बिंद्रा और माता का नाम बबली बिंद्रा है। अभिनव बिंद्रा ने अपनी प्राथमिक शिक्षा 'दून स्कूल' से की। इसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफंस स्कूल चंडीगढ़ में पढ़ाई की। वर्ष 2000 में उन्होंने स्टीफन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
अभिनव को अपनी पसंद के करियर को आगे बढ़ाने के लिए माता-पिता से पूरा समर्थन मिला। बेहतर प्रशिक्षण के लिए उनके माता-पिता ने पटियाला में अपने घर के बाहर एक इनडोर शूटिंग रेंज बनाया था। उनकी शूटिंग कौशल को सबसे पहले डॉ. अमित भट्टाचार्जी (उनके गुरु) और लेफ्टिनेंट कर्नल ढिल्लों (उनके पहले कोच) ने देखा था।
15 साल की उम्र में राष्ट्रमंडल खेलों में लिया था भाग
15 साल की उम्र में अभिनव ने 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे कम उम्र के प्रतिभागी के रूप में भाग लिया। सेंट स्टीफंस स्कूल, चंडीगढ़ से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 2000 में ओलंपिक में सबसे कम उम्र के प्रतिभागी (17 वर्ष की आयु) के रूप में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। उन्होंने 11वीं रैंक प्राप्त करते हुए क्वालिफिकेशन राउंड में 560 स्कोर किया। हालांकि, वह फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके, फिर भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन से खेल के जानकारों का दिल जीता। दृढ़ता और सफलता की लालसा ने उन्हें 2001 में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कुल 6 गोल्ड मेडल दिलाए।
अभिनव के 597/600 स्कोर करने के जूनियर विश्व रिकॉर्ड ने उन्हें म्यूनिख में आयोजित विश्व कप में तीसरा स्थान दिलाया। यह उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक थी। इसके बाद उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' और 'खेल रत्न' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अगले कुछ वर्षों में भी अभिनव ने अपने खेल से लगातार प्रभावित किया। साल 2006 में अभिनव विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय निशानेबाज बने। उसी साल उनकी पीठ में गंभीर चोट लग गई, जिससे वह एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए अयोग्य हो गए।
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2008 के ओलंपिक में जीता था गोल्ड
इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और साल 2008 में ओलंपिक में भाग लिया। उनकी वापसी सफल रही और उन्होंने भारत के लिए शूटिंग स्पर्धा में पहला गोल्ड मेडल जीता। इसी उपलब्धि ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। साथ ही वे देश के लाखों युवा निशानेबाजों के लिए प्रेरणा बन गए। अभिनव 2014 में 'गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन' के सलाहकार मंडल के सदस्य बने। इस संस्था के माध्यम से वे अब भारत के उभरते शूटिंग सितारों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके अलावा वह 'अभिनव बिंद्रा शूटिंग डेवलपमेंट प्रोग्राम' भी चला रहे हैं।
साल 2016 में अभिनव बिंद्रा को रियो ओलंपिक में भारतीय दल के सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। इस ओलंपिक में उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भी भाग लिया और चौथा स्थान हासिल किया। बिंद्रा 2010 से इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की स्पोर्ट्स कमेटी के सक्रिय सदस्य भी हैं। उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक के बाद संन्यास ले लिया था। अब वह युवा पीढ़ी को शूटिंग के क्षेत्र में प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके साथ ही वह हथियारों का कारोबार भी सफलतापूर्वक चला रहे हैं। अभिनव बिंद्रा भारत के शूटिंग स्टार हैं जिनकी फील्ड में उपलब्धियां हमेशा उभरते सितारों को प्रोत्साहित करती रहेंगी।