सार
सचिन को क्रिकेट के इतिहास में सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। वह भारत रत्न सम्मान पाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। उनका करियर बेदाग रहा है।
नई दिल्ली। भारत इस साल अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस खास मौके पर हम हमारे पाठकों के लिए लेकर आए हैं खास शख्सियतों से जुड़ी खास जानकारी। इन 75 वर्षों के दौरान इन शख्सियतों ने न केवल अपने-अपने क्षेत्र में बड़ी सफलता अर्जित की, बल्कि अनने आचरण से पूरे देश को प्रेरणा दी। हम बात कर रहे हैं क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की।
प्रारंभिक जीवन, पारिवारिक पृष्ठभूमि
सचिन को क्रिकेट के इतिहास में सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। आइए उनके प्रारंभिक जीवन, बचपन, क्रिकेट यात्रा और पुरस्कारों पर एक नजर डालते हैं। सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल, 1973 को दादर, मुंबई में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम सचिन रमेश तेंदुलकर है। वे सारस्वत ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता रमेश तेंदुलकर एक मराठी कवि और उपन्यासकार थे। उनकी मां रजनी बीमा क्षेत्र में काम करती थीं।
सचिन के दो भाई हैं, जिनका नाम नितिन और अजीत है। उनकी एक बहन भी हैं, जिनका नाम सविता है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शारदाश्रम विद्यामंदिर हाई स्कूल से की। स्कूल के दिनों में वे एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एमआरएफ पेस फाउंडेशन में भाग लिया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली के सुझाव के मुताबिक उन्होंने बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित किया। सचिन तेंदुलकर बचपन में टेनिस खेलना भी पसंद करते थे।
क्रिकेट करियर
सचिन तेंदुलकर ने 14 साल की उम्र में एक स्कूल मैच में विनोद कांबली के साथ 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की थी। इस साझेदारी में उन्होंने 326 रन बनाए थे। इस पारी ने उन्हें काफी शोहरत दिलाई थी। एक साल बाद यानि 15 साल की उम्र में उन्होंने बॉम्बे (अब मुंबई) के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया। अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने शतक जमा दिया। इसके एक साल बाद 16 साल और 205 दिन की उम्र में नवंबर 1989 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा। कराची में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू करते हुए वे भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट डेब्यू करने वाले क्रिकेटर बने।
सचिन ने 24 मई, 1995 को अंजलि से शादी की थी। अंजलि पेशे से एक डॉक्टर थीं, लेकिन परिवार को संभालने के लिए उन्होंने अपना करियर छोड़ दिया। सचिन दो बच्चों (सारा तेंदुलकर और अर्जुन तेंदुलकर) के पिता हैं। सारा फिलहाल पढ़ाई कर रही हैं और अर्जुन अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए क्रिकेट खेल रहे हैं।
अगस्त 1996 में 23 साल की उम्र में तेंदुलकर को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया था। हालांकि भारत 1996 के विश्व कप के सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गया था। सचिन 523 रनों के साथ टूर्नामेंट के शीर्ष रन स्कोरर थे। 1998 में उन्हें 'खेल रत्न पुरस्कार' के लिए चुना गया था, जो 1997-98 सीजन में उनके दमदार प्रदर्शन के लिए एक भारतीय एथलीट को दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार था। 1999 के विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया से हारकर भारत विश्व कप से बाहर हो गया। उसी साल भारत को ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका दोनों के खिलाफ हार झेलनी पड़ी।
2003 के विश्व कप में भारत ने फाइनल तक का सफर तय किया। तेंदुलकर ने अपनी टीम को फाइनल तक पहुंचने में पूरा योगदान दिया। हालांकि भारत को ऑस्ट्रेलिया ने हराकर विश्व कप जीत से वंचित कर दिया। उस टूर्नामेंट में सचिन 60.20 के औसत से 673 रन बनाकर टॉप स्कोरर थे। उन्हें 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' भी चुना गया था। सचिन ने दिसंबर 2005 में इतिहास रचा। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच में अपना रिकॉर्डतोड़ 35वां शतक बनाया। यह उपलब्धि उन्होंने 125वें टेस्ट में हासिल की। ऐसा कर उन्होंने महान पूर्व भारतीय क्रिकेटर, सुनील गावस्कर (34 शतक) के रिकॉर्ड को पार किया।
जून 2007 में तेंदुलकर अपने क्रिकेट करियर में एक और बड़ा मील का पत्थर पार किया। उस समय वह वनडे क्रिकेट में 15,000 रन बनाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने। इसके बाद नवंबर 2011 में वह टेस्ट क्रिकेट में 15,000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने। एक महीने बाद उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे में दोहरा शतक जमाया। वे वनडे क्रिकेट की एक पारी में 200 रन बनाने वाले क्रिकेट इतिहास के पहले व्यक्ति बने।
सचिन को साल 2010 इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने क्रिकेटर ऑफ द ईयर के लिए नामित किया था। मार्च 2012 में बांग्लादेश के खिलाफ एक वनडे मैच में सचिन ने अपना रिकॉर्ड 100वां इंटरनेशनल शतक (51 टेस्ट और 49 वनडे) बनाया। सचिन ने साल 2012 में वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया। साल 2013 में सचिन ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। सन्यास के वक्त सचिन वनडे और टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। उनका ये रिकॉर्ड आज भी कायम है।
सचिन के नाम कुल 34,357 रन दर्ज हैं। जिनमें 15,921 रन टेस्ट और 18,426 रन वनडे में दर्ज हैं। सचिन ने साल 2013 में ही आईपीएल के 6 सीजन खेलने के बाद उसे भी अलविदा कह दिया। आईपीएल में सचिन के नाम 78 मैचों में 2,334 रन दर्ज हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट में ढेरों रन बनाने और इस खेल के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें महान बनाया। अपने दमदार खेल के कारण ही उनकी तुलना ऑस्ट्रेलिया के दिवंगत महान क्रिकेटर सर डॉन ब्रैडमैन से की जाती थी।
भारत रत्न सचिन
2012 में सचिन तेंदुलकर भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा के सदस्य बने। उस निकाय में शामिल होने वाले पहले सक्रिय एथलीट थे। राज्यसभा में उनका कार्यकाल 2018 में समाप्त हो गया। 2014 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। ऐसा सम्मान पाने वाले वे देश के इकलौते खिलाड़ी हैं। सचिन तेंदुलकर को साल 2019 में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने 'हॉल ऑफ फेम' में शामिल किया था। सचिन ने जितने समय तक क्रिकेट खेली, उनका करियर पूरी तरह से बेदाग रहा। इस दौरान वे न केवल विवादों से दूर रहे, बल्कि सालों तक देश के युवाओं को प्रेरित करते रहे।