India@75: राजनीति में पुरुषों के दबदबे को चुनौती दे केरल की पहली महिला पीसीसी अध्यक्ष बनी थी Kunjikavamma

Chunangat Kunjikavamma 1938 में केरल पीसीसी अध्यक्ष बनीं थी। वह केरल के इतिहास में एकमात्र महिला पीसीसी अध्यक्ष थी। इसके बाद एक महिला को केरल की पहली जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनने में लगभग आधी सदी लग गई।

नई दिल्ली। भारत में आज भी राजनीतिक दलों पर पुरुषों का दबदबा है। चंद पार्टियां ही ऐसी हैं जहां नेतृत्व महिलाओं के हाथ में है। आजादी के पहले तो स्थिति और अलग थी। तब राजनीति में गिनीचुनी महिलाएं ही आतीं थीं। उस समय की महिला राजनेताओं में Chunangat Kunjikavamma का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वह राजनीति में पुरुषों के दबदबे को चुनौती देकर 1938 में केरल पीसीसी अध्यक्ष बनीं थी। वह केरल के इतिहास में एकमात्र महिला पीसीसी अध्यक्ष थी। इसके बाद एक महिला को केरल की पहली जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनने में लगभग आधी सदी लग गई।

Chunangat Kunjikavamma 1938 में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष बनीं थी। उस समय इस पद को डिक्टेटर नाम से पुकारा जाता था। केरल के पहले मुख्यमंत्री और इंडियन कम्युनिस्ट मूवमेंट के प्रमुख ईएमएस नाम्दुदरीपाद उस वर्ष सचिव चुने गए थे। उस समय युवा वामपंथियों ने संगठनात्मक चुनावों में राज्य कांग्रेस पार्टी के अंदर रूढ़िवादी वर्ग को हराया था।
 

Latest Videos

Kunjikavamma का जन्म 1894 में केरल के पलक्कड़ जिले के ओट्टापलम के चुनानगत में एक पारंपरिक नायर परिवार में हुआ था। क्लास 8 में पढ़ने के समय ही उनकी शादी हो गई थी। उस समय बच्चियों का विवाह कम उम्र में ही कर दिया जाता था। उनके पति एम वी माधव मेनन एक प्रगतिशील विचारधारा वाले राष्ट्रवादी और महात्मा गांधी के अनुयायी थे।

मेनन अपनी पत्नी के लिए बड़ी संख्या में किताबें लाए और उन्हें सार्वजनिक जीवन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। Kunjikavamma स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं। गांधीजी जब केरल की यात्रा पर गए तो Kunjikavamma ने उन्हें अपने सारे गहने दान कर दिए। वह खादी वस्त्र पहनने लगीं। वह 1921 में अपने पैतृक निवास स्थान ओट्टापलम में आयोजित KPCC के पहले अखिल केरल राजनीतिक सम्मेलन के आयोजकों में से एक थीं।

यह भी पढ़ें- India@75: दुनिया के सबसे महान गणितज्ञ थे रामानुजन, महज 32 साल की उम्र में दुनिया छोड़ी

दो बार गईं थीं जेल
Kunjikavamma उन पहली महिलाओं में शामिल थीं, जो महात्मा गांधी के आह्वान पर राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं। उन्हें विदेशी कपड़ों के बहिष्कार आंदोलन में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कन्नूर केंद्रीय जेल में तीन साल बिताए। रिहाई के बाद उन्होंने अपनी गतिविधियों को जारी रखी, जिसके चलते उन्हें फिर से जेल में डाल दिया गया। इस बार उन्हें वेल्लोर जेल में रखा गया। उनके जेल साथियों में एमवी कुट्टीमालु अम्मा और उनके दो महीने के बच्चे ग्रेसी आरोन जैसी महिला नेता शामिल थीं।

यह भी पढ़ें- India@75: कौन थे भारत में सामाजिक क्रांति के अगुआ ज्योतिबा फूले, कैसे तोड़ी थी जाति की जर्जर जंजीरें

स्वतंत्रता के बाद हरिजन कल्याण दिया था ध्यान
Kunjikavamma ने स्वतंत्रता के बाद सक्रिय राजनीति से हटकर खादी और हरिजन कल्याण गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने अपने गांव में कस्तूरबा मेमोरियल स्कूल की स्थापना की। उन्होंने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के लिए 8 एकड़ जमीन दान में दी। Kunjikavamma को राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उनकी सेवाओं के लिए मुफ्त जमीन और ताम्रपत्र दिया गया था। उन्होंने ताम्रपत्र स्वीकार किया, लेकिन जमीन लेने के इनकार कर दिया। 1974 में 80 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

Share this article
click me!

Latest Videos

हिंदुओं पर हमले से लेकर शेख हसीना तक, क्यों भारत के साथ टकराव के मूड में बांग्लादेश?
Arvind Kejriwal की Sanjeevani Yojana और Mahila Samman Yojana पर Notice जारी, क्या है मामला
Delhi CM Atishi होंगी गिरफ्तार! Kejriwal ने बहुत बड़ी साजिश का किया खुलासा । Delhi Election 2025
क्या बांग्लादेश के साथ है पाकिस्तान? भारत के खिलाफ कौन रह रहा साजिश । World News
'फिर कह रहा रामायण पढ़ाओ' कुमार विश्वास की बात और राजनाथ-योगी ने जमकर लगाए ठहाके #Shorts