धनबाद जज हत्याकांड : सीबीआई की विशेष अदालत ने राहुल और लखन पर तय किए हत्या और सबूत मिटाने के आरोप

28 जुलाई 2021 को धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश- 8 उत्तम आनंद मॉर्निंग वाक करने अपने आवास से ग्रांउड जा रहे थे। इसी दौरान रणधीर वर्मा चौक के आगे जज कॉलोनी मोड़ पर एक ऑटो ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। हादसे के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

धनबाद। एक ऑटो एक्सीडेंट में मृत अपर जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले में (Dhanbad Judge Death Case) धनबाद सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई। धनबाद सिविल कोर्ट (Dhanbad Civil Court) के एजेंसी 3 की कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आरोपी लखन कुमार वर्मा (Lakhan Kumar Verma) एवं राहुल कुमार वर्मा (Rahul Kumra Verma) के खिलाफ आरोप गठित कर दिया गया है। कोर्ट ने दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत आरोप तय किए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 फरवरी को होगी। दोनों आरोपियों पर घटना से जुड़े सबूत मिटाने का आरोप है। 

क्या है मामला 
28 जुलाई 2021 को धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश- 8 उत्तम आनंद मॉर्निंग वाक करने अपने आवास से ग्रांउड जा रहे थे। इसी दौरान रणधीर वर्मा चौक के आगे जज कॉलोनी मोड़ पर एक ऑटो ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। हादसे के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में ऑटो चालक और उसके सहयोगी को भी गिरफ्तार किया गया था। 

सीबीआई ने बनाई जांच की नई टीम 
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जज उत्तम आनंद की हत्या मामले की जांच के लिए अधिकारियों की एक नई टीम नियुक्त की है। दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट पहले की टीम की जांच से सहमत नहीं था और उसने कई बार नाराजगी जताई थी। पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने सीबीआई अधिकारियों से पूछा था कि चार महीने में संदिग्धों के दो ब्रेन-मैपिंग क्यों किए गए। इस मामले में एसआईटी ने सबसे पहले ऑटो चालक लखन वर्मा और राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया था। बाद में SIT ने आरोपियों को सीबीआई के हैंडओवर कर दिया था। 

कई माफियाओं के केस की सुनवाई कर रहे थे उत्तम आनंद  
सूत्रों के मुताबिक जिला जज आनंद कुमार कई माफियाओं के केस की सुनवाई कर रहे थे और कई की जमानत याचिका भी खारिज कर चुके थे। उनके पास हत्या का भी एक मामला था, जिसमें आरोपी विधायक का नजदीकी था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 30 जुलाई को संज्ञान लेते हुए इस पर टिप्पणी की थी। इसके बाद चार अगस्त को सीबीआई को इस मामले की जांच सौंप दी गई थी। तब से सीबीआई जांच कर रही है, लेकिन अभी तक कुछ साफ नहीं हो पाया है। 

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