देश में कोरोना महामारी के बाद पिछले कुछ दिनों से नई मंकीपॉक्स नामक बीमारी के मरीज मिल रहे है। अलग अलग राज्यों में इस संक्रमण पेशेंट मिलने से राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। झारखंड के गढ़वा जिलें में एक 11 साल की मासूम में इस बीमारी के लक्षण नजर आए है। बुधवार को सेंपल लिया जाएगा।
गढ़वा: झारखंड में मंकीपॉक्स के लक्षण एक 11 साल की बच्ची में मिले हैं। बच्ची गढ़वा जिले के टंडवा की रहने वाली है। गढ़वा सदर अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। बच्ची में मंकीपॉक्स के लक्षण मिलने को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है। बच्ची में जो लक्षण मिले हैं उससे मंकीपॉक्स का संक्रमण होने की आशंका जताई जा रही है। बच्ची के हाथ व पैर में कई फफोले उग आए हैं। उसे बुखार भी आ रहा है। स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी मिली तो बच्ची को तुरंत सदर अस्पताल में भर्ती कराया। बच्ची का सदर अस्पताल स्थित एनसीडी (नन कम्युनिकेबल डिजीज) सेंटर में आइसोलेट कर इलाज किया जा रहा है। हालांकि बच्ची की कोई ट्रावल हिस्ट्री नहीं है। जांच के लिए सैंपल भी रिम्स भेजा गया है।
मंकीपॉक्स को लेकर सरकार अलर्ट
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मंकीपॉक्स को लेकर सरकार पूरी तरह से सचेत है, साथ ही राज्य के सभी सिविल सर्जनों को अलर्ट रहने को कहा गया है। किसी भी प्रकार की चूक बरदास्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि गढ़वा के आईडीएसपी से बात हुई है। बुखार और शरीर में फफोले का एक मामला मिला है। प्रोटोकॉल के हिसाब से सैंपल एनआईवी पुणे को भेजने को कहा गया है। इसका सैंम्पल रिम्स को भी भेजने को कहा गया है। वहीं, गढवा जिले के सिविल सर्जन डॉ कमलेश ने बताया कि बच्ची में जो लक्षण मिले हैं, वह मंकीपॉक्स से मिलते जरुर है। लेकिन जांच के बाद ही बताया जा सकता है कि बच्ची को मंकीपॉक्स है या नहीं। बच्ची का कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं है। ऐसे में मंकीपॉक्स की संभावना कम है।
बुधवार को सैंपल किया जाएगा कलेक्ट
गढ़वा जिले के महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष मिश्रा ने बताया कि बच्ची को आईसोलेट कर उपचार किया जा रहा है। मुख्यालय को भी सूचित कर दिया गया है। आज प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बच्ची का सैंपल कलेक्ट किया जाएगा। उसके बाद एनआईवी, पुणे में सैंपल की जांच कराई जाएगी। सैंपल जांच के बाद ही पता चलेगा कि बच्ची को मंकीपॉक्स है अथवा नहीं।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपाक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। 1958 में यह पहली बार शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इस वायरस का पहला मामला 1970 में रिपोर्ट किया गया है। मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों (tropical rainforest area) में यह रोग में होता है।
कैसे पहचाने मंकीपाक्स बीमारी को
बार-बार तेज बुखार आना। पीठ और मांसपेशियों में दर्द। त्वचा पर दानें और चकते पड़ना। खुजली की समस्या होना। शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना। मंकीपाक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है। संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है। चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना। गला खराब होना और बार-बार खांसी आना।ध्यान दें! कैसे फैलता है संक्रमण- मंकीपाक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।