जैन समुदाय के बाद आदिवासियों ने पारसनाथ पहाड़ी पर कर दी ये घोषणा, मांग पूरी न होने पर दी आंदोलन की चेतावनी

झारखंड राज्य में स्थित पारसनाथ पहाड़ियों पर बने जैन तीर्थ को टूरिस्ट स्पॉट बनने से रोकने का जैन समुदाय विरोध कर रहा है, वहीं अब यहां के आदिवासी समुदाय ने अपना दावा करते हुए इसे जैन समुदाय के चुंगल से मुक्त कराने का केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया।

Asianet News Hindi | Published : Jan 11, 2023 6:55 AM IST / Updated: Jan 11 2023, 12:50 PM IST

गिरीडीह (giridih). झारखंड के गिरीडीह जिले स्थित पारसनाथ पहाड़ियां इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इन पहाड़ियों पर स्थित पवित्र धर्मस्थल सम्मेद शिखर को टूरिस्ट स्पॉट बनाने का विरोध जैन समुदाय कर रहे थे। अब वहीं यहां के आदिवासियों ने भी जमीन पर अपना दावा कर दिया है। इसके साथ ही मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की भी धमकी दे दी। पढ़िए क्या है आदिवासियों की मांग और इसको लेकर उनकी तैयारियां।

30 जनवरी को रखेंगे सामूहिक उपवास
पारसनाथ पहाड़ियों को जैन समुदाय के चुंगल से मुक्त कराने के लिए आदिवासी समुदाय एकत्र होकर पारसनाथ पहाड़ियों को बचाने के लिए बिरसा मुंडा की जन्मस्थली खूंटी जिले के उलिहातु गांव में सामूहिक उपवास रखेंगे। इसके लिए आदिवासी समुदाय के संयुक्त मंच ने 30 जनवरी का दिन तय किया है।

बैठक में लिया फैसला, मांग पूरी न होने पर दी आंदोलन की चेतावनी
कई आदिवासी गिरीडीह में स्थित पारसनाथ पहाड़ी पर मंगलवार के दिन इकट्ठा हुए। बैठक से पहले झारखंड, पंश्चिम बंगाल और ओडिशा के सैकड़ों आदिवासियों ने पहाड़ी क्षेत्र में पारंपरिक हथियार और ढोल नगाड़े लेकर पहुंचे थे। जिनको बजाकर पहले इन्होंने प्रदर्शन किया। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से उनकी जमीन को जैन समुदाय के कब्जे से मुक्त कराने का आग्रह किया। इसके अलावा उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे उग्र प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे। झारखंड बचाओं मोर्चा के एक सदस्य ने कहा कि पारसनाथ पर प्रदेश के आदिवासियों का जन्मसिद्ध अधिकार और दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें इस अधिकार से अलग नहीं कर सकती है।

टूरिस्ट स्पॉट बनाने के विरोध में गवां चुके है संत अपनी जान
वहीं जब से प्रदेश सरकार ने सम्मेद शिखर को टूरिस्ट स्पॉट बनाने की घोषणा की थी। तभी से जैन समुदाय इसका विरोध करने सड़को पर उतर गया था। इसके साथ ही कई संत आमरण अनशन पर बैठ गए थे, जिसके चलते 2 संतो ने अपने प्राण भी त्यागने पड़े। जैनियों के विरोध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार के टूरिस्ट वाले फैंसले पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब प्रदेश के आदिवासी समुदाय इसे अपनी जमीन बताते हुए इसे जैन समुदाय से फ्री कराने के लिए मैदान में उतर गए है।

जानकारी हो कि पारसनाथ पहाड़ियों में संथाल जनजाति अपना जमीनी अधिकार मानती है। ये जनजाति देश की सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति कम्यूनिटी में से एक है। इनकी झारखंड, बिहार, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल में बहुतायत में आबादी रहती है, साथ ही ये प्रकृति की पूजा करते है। इसलिए पारसनाथ पहाड़ियों पर अपना दावा कर रहे है।

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