इलाज के लिए चीखती रह गई बेटी और पिता की थम गईं सांसे, लेकिन डॉक्टर नहीं आए..देखते रहे स्वास्थ्य मंत्री

अस्पताल में स्ट्रेचर पर अपने ''पिता को ले चीखती-रोती रही, बार-बार डॉक्टर-डॉक्टर चिल्लाती रह गई, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं आया और आखिर मेरे पिता की मौत हो गई''। हैरानी की बात यह है कि इसी दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हॉस्पिटल में निरीक्षण के लिए पहुंचे हुए थे। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 14, 2021 11:34 AM IST / Updated: Apr 14 2021, 05:13 PM IST

रांची (झारखंड). कोरोना के कहर के बीच झारखंड की राजधानी रांची से एक ऐसी मार्मिक खबर सामने आई है, जिसे जान हर किसी का कलेजा फट जाएगा। एक बेटी अस्पताल में अपने पिता को स्ट्रेचर पर लिटा इलाज के लिए चीखती-चिल्लाती रही, उसकी यह चीखें सरकारी सिस्टम तक नहीं पहुंच सकी। पिता को बचाने के लिए बेटी की तड़प पत्थर दिल को भी रुला गई, लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पिघला। आखिर में चीख-पुकार के बीच पिता ने दम तोड़ दिया। हैरानी की बात यह है कि इसी दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हॉस्पिटल में निरीक्षण के लिए पहुंचे हुए थे। लेकिन उनके ही सामने उन्हें अपनी ही व्यवस्था ने शर्मसार कर दिया।

'मैं चीखती-चिल्लाती रही..लेकिन डॉक्टर नहीं आया'
अस्पतालों की बदइंतजामी की वजह से काल के गाल में समा रहे हैं। हर तरफ सिर्फ मौत की चीखें सुनाई दे रही हैं। इसी बीच झारखंड की राजधानी रांची से सरकारी व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जान हर किसी का कलेजा फट जाएगा। जिसमें एक बेटी का गुस्सा और दर्द है, वह अस्पताल में स्ट्रेचर पर अपने ''पिता को ले चीखती-रोती रही, बार-बार डॉक्टर-डॉक्टर चिल्लाती रह गई, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं आया और आखिर मेरे पिता की मौत हो गई''। हैरानी की बात यह है कि इसी दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हॉस्पिटल में निरीक्षण के लिए पहुंचे हुए थे। लेकिन उनके सामने ही उन्हें अपनी ही व्यवस्था ने शर्मसार कर दिया।

बेटी का दर्द पढ़ फट जाएगा कलेजा
दरअसल, यह मामला मंगलवार को रांची के सदर अस्पताल में सामने आया, जिस दौरान राज्य के स्वास्थ्य बन्ना गुप्ता पहुंचे हुए थे। लेकिन निकलते समय एक बेटी के दर्द और चीखों ने मंत्री जी की सारी बोलती बंद कर दी। वह रोते हुए कहती ''आपके सरकारी सिस्टम ने मुझसे मेरे पिता को छीन लिया। जब डॉक्टर ही इलाज करने नहीं आया तो अब आप मेरे लिए क्या करेंगे। पिता को आप वापस ला सकते हैं नहीं, बस आप तो जब चुनाव होंगे तो हाथ जोड़कर वोट मांगने आ जाएंगे। मैंने सोचा था कि राजधानी में अच्छे डॉक्टर और अच्छा अस्पताल है वहीं पर पिता का इलाज कराऊंगी। लेकिन यहां तो सभ भगवान भरोसे ही चल रहा है''।

अंदर निरीक्षण करते रहे मंत्रीजी, बाहर मरीज की मौत
बता दें कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद पवन गुप्ता नामक शख्स को उसके परिजन बेहतर इलाज के लिए हजारीबाग से रांची लाए थे। जहां बेटी अपने पिता को स्ट्रेचर लेकर अस्पताल में भटकती रही, लेकिन कहीं उसे कोई इलाज तो दूर भर्ती तक नहीं किया। वह रोती-गिड़गिड़ाती रही एक बेड दे दो नहीं तो पापा मर जाएंगे। लेकिन सरकारी डॉक्टरों ने एक नहीं सुनी। इसी दौरान अस्पताल में मंत्री जी अंदर निरीक्षण कर रहे थे और बाहर एक बेटी के सामने उसके पिता की तड़प-तड़पकर मौत हो गई।

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