देवघर रोपवे हादसा: 46 लोगों को मौत के मुंह से निकालने वाले जवानों का हौसला बढ़ाएंगे PM, रात 8 बजे करेंगे बात

आर्मी के जवान, वायुसेना की टीम और NDRF ने 45 घंटे चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन को दो तरीके से चलाकर लोगों की जिंदगी बचाई। पहला वायुसेना हेलिकॉप्टर के जरिए ट्रॉली में फंसे लोगों को एयरलिफ्ट किया तो दूसरी ओर सेना और NDRF ने रस्सी से बांधकर लोगों को नीचे उतारा।

Asianet News Hindi | Published : Apr 13, 2022 12:39 PM IST / Updated: Apr 13 2022, 06:23 PM IST

देवघर : झारखंड (Jharkhand) के देवघर में हुए रोप-वे हादसे (Deoghar Ropeway Accident) में अपनी जांबाजी से 46 लोगों को मौत के मुंह से निकाल लाने वाले जवानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज रात 8 बजे बात करेंगे। वे इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने वाले जवानों का हौसला बढ़ाएंगे। इस बातचीत में आर्मी, एयरफोर्स, NDRF, ITBP के जवानों के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और सिविल सोसाइटी की टीम भी शामिल होगी। बता दें कि रविवार को रामनवमी के दिन त्रिकूट पर्वत रोपवे पर हुए इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी जबकि करीब 45 घंटे चले ऑपरेशन के बाद 46 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया था।

जवान बने देवदूत
देवघर में श्रद्धालुओं की जान बचाने के लिए जवानों ने 45 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए। इस अभियान में कुल 290 से ज्यादा जवान दिन रात लगे हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आर्मी के एक बिग्रेडियर, दो कर्नल और 50 जवान के साथ ही मेडिकल टीम इस रेस्क्यू अभियान का हिस्सा थी। एयरफोर्स की टीम में पांच हेलीकॉप्टर और 20 मेंबर थे। NDRF के 70, ITBP के  50 जवान इस बचाव कार्य में शामिल थे। इसके साथ ही लोकल पुलिस और जिला प्रशासन के 100 से ज्यादा जवान और अधिकारी श्रद्धालुओं को सुरक्षित बचाने में अहम भूमिका निभाई। रेस्क्यू अभियान के दौरान स्थानीय लोगों ने भी जवानों की खूब मदद की। पीएम मोदी इन सभी से भी वर्चुअली बात करेंगे।

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कैसे हुआ था हादसा

रविवार को रामनवमी का दिन था तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु त्रिकूट पर्वत पर दर्शन करने पहुंचे थे। श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा देख रोप-वे संचालन करने वाली कंपनी ने सभी ट्रॉलियां शुरू कर दी। इससे केबल पर लोड बढ़ गया और शाम के करीब चार बजे तीन ट्रॉलियां आपस में टकरा गई थीं। जिसके चलते कई ट्रॉली 2500 फीट ऊंचाई पर ही अटक गईं। इनमें करीब 50 लोग थे। रेस्क्यू ऑपरेशन उसी दौरान शुरू हो गया था लेकिन अंधेरा होने के चलते यह ज्यादा देर नहीं चल सका था। फिर दूसरे दिन सोमवार को एयरफोर्स ने मोर्चा संभाला। ड्रोन के जरिए सभी तक खाना-पानी पहुंचाया जा रहा था। हालांकि तारों के जाल की वजह से इस अभियान में काफी परेशानियां भी आई लेकिन सभी चुनौतियों से पार पाते हुए जवानों ने 45 घंटे चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद 46 लोगों को सुरक्षित बचा लिया। 

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