22 दिनों में गांववालों ने काट दिया पहाड़..अब 35 किमी का चक्कर नहीं काटना पड़ता है

Published : Jul 30, 2020, 05:33 PM IST
22 दिनों में गांववालों ने काट दिया पहाड़..अब 35 किमी का चक्कर नहीं काटना पड़ता है

सार

कहते हैं कि जहां चाह-वहां राह! धनबाद जिले के राजगंज से सटे एक गांव के आदिवासियों ने वो कर दिखाया, जिसे प्रशासन अब तक नहीं कर पाया था। यहां के एक गांव तक जाने के लिए लोगों को पहाड़ का लंबा चक्कर काटना पड़ता था। यानी 2 किमी की दूरी के लिए 35 किमी का चक्कर काटना पड़ता था। एक दिन गांववालों ने माउंटेनमैन दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर पहाड़ काटने की ठानी। करीब 22 दिनों की मेहनत के बाद उन्होंने 2 किमी लंबी सड़क का निर्माण कर लिया।

धनबाद, झारखंड. कहते हैं कि जहां चाह-वहां राह! धनबाद जिले के राजगंज से सटे एक गांव के आदिवासियों ने वो कर दिखाया, जिसे प्रशासन अब तक नहीं कर पाया था। यहां के एक गांव तक जाने के लिए लोगों को पहाड़ का लंबा चक्कर काटना पड़ता था। यानी 2 किमी की दूरी के लिए 35 किमी का चक्कर काटना पड़ता था। एक दिन गांववालों ने माउंटेनमैन दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर पहाड़ काटने की ठानी। करीब 22 दिनों की मेहनत के बाद उन्होंने 2 किमी लंबी सड़क का निर्माण कर लिया। मामला गंगापुर के ढहुनाला का है। गांववालों ने लॉकडाउन का सदुपयोग किया और पहाड़ काटकर अपने गांव का रास्ता सुगम कर लिया।

करीब 100 लोगों ने किया श्रमदान..
बाघमारा ब्लॉक के राजा बांस गांव के लोगों को पहाड़ का चक्कर काटकर जाना पड़ता था। एक दिन सबने मिलकर पहाड़ काटने की ठानी। इस तरह 100 लोगों ने 22 दिन के परिश्रम के बाद पहाड़ काटकर करीब 2 किमी की सड़क बना दी। अब यहां से आसानी से दुपहिया वाहन निकल सकते हैं। यह एरिया वन विभाग में आता है। गांववालों ने पहाड़ काटते समय इस बात का ध्यान रखा कि कोई पेड़ न कटे। वन विभाग ने गांववालों की सराहना की।

रास्ता नहीं होने से गांव के लोगों को गिरिडीह जिले की सीमा में प्रवेश करने के लिए 35 किमी का सफर करना पड़ता था। अब पलमा, हरलाडीह, चिरकी आदि आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस काम के दौरान गांव की महिलाओं ने भी पूरा सहयोग किया। वे भात और आलू का चोखा लोगों तक पहुंचाती रहीं। गांववालों ने इस काम में मशीनों का बिलकुल इस्तेमाल नहीं किया।

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