आंदोलनकारी की मृत्यु की स्थिति में उनके आश्रितों को यह लाभ मिलेगा। पुनर्गठित आयोग का कार्यकाल एक वर्ष का होगा। चिन्हितिकरण आयोग को मिले आवेदन के आधार पर दस्तावेजों की जांच की जाएगी, जो आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को चिन्हित करेगा।
रांची (Jharkhand) . हेमंत सोरेन की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में सक्रिय रहे आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी और सम्मान पेंशन देने का प्लान बना रही है। इसके लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक रिटायर्ड अधिकारी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो अंतिम चरण में है। आयोग आंदोलनकारियों को चिन्हित करने का कार्य करेगी। आयोग का कार्यकाल एक साल का होगा। ऐसे आंदोलनकारियों को प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा। गृह विभाग ने इस साल 25 फरवरी को हुए कैबिनेट की मिटिंग में यह निर्णय लिया था।
सरकार ने नौकरी देने का बनाया है ये मानक
झारखंड आंदोलन के क्रम में जेल में मरे या 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग हुए आंदोलनकारियों के आश्रितों के एक परिजन को सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती मिलेगी। यह तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों के लिए होगी। सरकार इसके लिए 5 प्रतिशत का आरक्षण भी देगी। इसका लाभ आंदोलनकारी के परिवार को जीवन में एक बार मिलेगा।
जो जितना दिन जेल में, उसे उतना अधिक पेंशन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार आंदोलन के क्रम में छह माह से अधिक जेल में गुजारने वालों को 7000 रुपए मासिक पेंशन देने की योजना है। जबकि तीन माह से कम समय जेल में गुजारने वालों को 3500 और तीन से छह माह तक जेल में रहने वालों को 5000 रु. पेंशन मिलेगा। अगर आंदोलनकारी की मौत हो गई है तो उस स्थिति में उनके परिवार वालों को यह लाभ मिलेगा।