झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की दस्तक...100 से ज्यादा सुअरों की गई जान, जांच के लिए सेंपल भेजे कोलकाता

झारखंड राज्य में 100 से अधिक सूअरों की किसी बीमारी से मरने की खबर आ रही है। प्रारंभिक जांच में यह अफ्रीकन फीवर के लक्षण समझ आ रहे है। डिटेल टेस्टिंग के लिए कोलकाता भेजे गए सैंपल। झारखंड पशुपालन विभाग ने जारी किया अलर्ट...

रांची (झारखंड).  झारखंड की राजधानी रांची में भी संदिग्ध अफ्रीकन स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। राज्य में इससे कई सूअरों की  जान जाने की खबरें आ रही है। जानकारी के अनुसार, 27 जुलाई से लेकर अब तक राज्य में इस बीमारी से 100 से अधिक सूअरों की मौत हो चुकी है। शनिवार को झारखंड पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए  लोगों को सतर्क रहने को कहा है। इसके साथ बीमार के बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए प्रभावित सूअरों के सैँपल को भोपाल और कोलकता भेजा गया। राज्य में अब तक सूअरों की मौत की जानकारी सिर्फ रांची से आ रही है, लेकिन विभाग ने सभी जिलों के लिए अर्ल्ट जारी किया है, साथ ही कोविड-19 जैसे प्रोटोकॉल के पालन करने को कहा है। विभाग द्वारा स्वाइन फीवर टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है। 

कांके के पिग ब्रीडिंग फार्म में करीब 70 सूअरों की जान गई
जानकारी के अनुसार, रांची के कांके स्थित सरकारी सुअर प्रजनन फार्म में अब तक करीब 70 सुअरों की मौत हो चुकी है। फार्म में 760 पूर्ण विकसित सूअरों सहित लगभग 1100 पिग हैं। झारखंड की राजधानी रांची के कांके में लगभग दो दर्जन से अधिक सूअर की मौत हो चुकी है। खलारी के कई गांवों में भी दर्जनों सूअर मर चुके हैं। पिग के ऐसे संदिग्ध हालत में मरने के बाद सैंपल इकट्ठा कर जांच के लिए कोलकाता भेजे गए हैं।

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बीमारी फैलने का खतरा बढ़ा 
प्रखंड क्षेत्र में पिछले एक महीने से बड़ी संख्या में सुअरों की मौत हो रही है। प्रखंड के पशुपालन चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मृत्युंजय ने इसे स्वाइन फ्लू बताया है। विश्रामपुर के मोहन गंझू ने बताया कि उनकी बस्ती और आसपास के गांवों में अब तक दर्जनों सुअरों की मौत हो चुकी है। इसके अतिरिक्ति केडी, करकट्टा, चूरी बस्ती, नवाडीह, हरहु, मायापुर, बिरसानगर, धमधमिया, विश्रामपुर, एसीसी कॉलोनी में भी बीमारी से सुअरों की मौत की सूचना लगातार मिल रही है। ग्रामीण अपने सुअरों के मरने पर उन्हें खुले में फेंक दे रहे हैं। जिसकी दुर्गंध से लोगों को काफी परेशानी हो रही है, दूसरी ओर संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। खासकर धमधमिया के जंगलों में सुअरों के मरने की संख्या अधिक है।

ग्रामीणों को दे रहे हैं दवा: चिकित्सा पदाधिकारी
डॉ मृत्युंजय कुमार ने बताया कि सुअरों की मौत की जानकारी उन्हें मिली है। स्वाइन फ्लू के कारण सुअर मर रहे हैं। वैक्सीनेशन होना चाहिए था, परंतु स्वाइन फ्लू की वैक्सीन पूना में बनती है। उन्होंने बताया कि कई ग्रामीण उनके पास आ रहे हैं और उन्हें दवा दी गई है। दवा के असर से अब सुअरों का मरना कम हुआ है।

सूअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण
पशु वैज्ञानिकों के अनुसार मरने वाले सूअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण पाए गए हैं। सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए कोलकाता भेजा गया है। बीएयू के सीनियर साइंटिस्ट डॉ एमके गुप्ता ने व्यक्तिगत स्तर से सैंपल जांच के लिए भोपाल भी भेजे हैं। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही पुष्टि हो सकेगी कि सूअर के मरने का कारण क्या है।

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