चिरूडीह में पुलिस को हथियार उठाने जैसी स्थिति में लाने के लिए मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसी मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री ने जमानत याचिका लगाई थी जिसे कोर्ट ने गुरुवार 21 जुलाई को एक्सेप्ट कर लिया है।
रांची (झारखंड). झारखंड के पूर्व मंत्री सह कांग्रेस नेता योगेन्द्र साव जल्द ही जेल से बाहर आ सकते हैं। चिरूडीह हत्याकांड मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है। हाईकोर्ट में जस्टिस रंगून मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबूज नाथ की खंडपीठ ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव स्थित चिरूडीह हत्याकांड से जुड़े मामले में अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने 10 साल की सजा सुनायी थी। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी व पूर्व विधायक निर्मला देवी को दालत ने दोषी करार दिया था, जबकि पुत्र अंकित कुमार को अदालत ने बरी कर दिया था। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने योगेंद्र साव के द्वारा दाखिल क्रिमिनल अपील की सुनवाई के दौरान एलसीआर तलब की थी। लोअर कोर्ट की रिपोर्ट दाखिल होने के बाद हाईकोर्ट ने योगेंद्र साव की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। योगेंद्र साव की तरफ से झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता विशाल तिवारी और अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन ने पक्ष रखा। हाईकोर्ट के अधिवक्ता शुभाशिष रसिक सोरेन ने जानकारी देते हुए बताया कि योगेन्द्र साव करीब 4 वर्ष से ज्यादा समय से जेल में थे। लेकिन अब हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट से 21 जुलाई 2022 के दिन उनकी बेल मंजूर कर दी गई है।
क्या है मामला
मामला हजारीबाग जिले के बड़कागांव स्थित चिरूडीह हत्याकांड से जुड़ा है। आपको बता दें कि झारखंड के हजारीबाग जिले में चिरूडीह खनन को लेकर हुए आंदोलन के दौरान गिरफ्तार बड़कागांव की पूर्व विधायक निर्मला देवी को छुड़ाने के लिए भीड़ ने हमला कर उन्हें छुड़ा लिया था। इस दौरान पुलिस को अपने बचाव में गोली चलानी पड़ी थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गयी थी। इसी मामले में झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, बड़कागांव की पूर्व विधायक निर्मला देवी, पुत्र अंकित कुमार सहित सैकड़ों लोगों को आरोपी बनाया गया था।
सात सालों में पहली खुशी मिली : विधायक अंबा
इस मामले पर बड़कागांव विधायक और योगेंद्र साव की बेटी अंबा प्रसाद ने कहा कि सात सालों में पहली बार कोई खुशखबरी मिली है। इस बेल के बाद मेरे पिता जो सालों से जेल में संघर्ष कर रहे थे, उनके बाहर आने का रास्ता साफ हो गया। अंबा ने कहा कि जनता की लड़ाई की वजह से मेरे माता-पिता को दो साल झारखंड से बाहर रहना पड़ा। सलाखों के पीछे भी रहे। लेकिन हिम्मत नहीं टूटी। मेरा परिवार आगे भी जनता के लिए जरूरत पड़ने पर संघर्ष से पीछे नहीं हटेगा।