
रांची (झारखंड). जेपीएससी के पूर्व अध्यक्ष सह आईपीएस ऑफिसर अमिताभ चौधरी के निधन से राज्य में शोक की लहर है। सीएम हेमेंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, आजसू सुर्पिमो सुदेश महतो ने अमिताभ चौधरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सीएम ने ट्वीट कर कहा है कि राज्य में क्रिकेट खेल को बढ़ाने में अमिताभ चौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। उनका आक्समिक निधन होना दु:खद है। वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि अमिताभ चौधरी का आक्समिक निधन पीड़ादायक है। भगवान उन्हें अपनी श्रीचरणों में जगह दे। जानकारी हो कि मंगलवार की सुबह अमिताभ चौधरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार रांची के हरमू मुक्तिधाम में किया जाएगा।
तेज तर्रार आईपीएस अफसरों में थे शुमार
अमिताभ चौधरी का नाम झारखंड के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी में शुमार था। रांची में एसएसपी रहते उन्होंने कुख्यात गैंगस्टर अनिल शर्मा और सुरेंद्र बंगाली को जेल भेज था। 1885 में वे आईपीएस अधिकारी बने थे। वे बिहार कैडर के आईपीएस बने थे। लेकिन झारखंड अलग होने के बाद उन्हें झारखंड कैडर मिला था। वे 1993 में पलामु में भी एसपी रह चुके हैं। वे पलामू रेंज के डीआईजी भी रह चुके हैं। उनके कार्यकाल को पलामू के लोग आज भी याद करते हैं। पलामू में एसपी रहते उन्होंने राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टुर्नामेंट का आयोजन कराया था।
किक्रेट के आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
अमिताभ चौधरी ने झारखंड में क्रिकेट को आगे बढ़ाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रांची का जेएससीए इंटनेशनल स्टेडियम उन्हीं की देन है। जेएससीए के अध्यक्ष के कार्यकाल में उन्होंने राज्य के ग्रामीण इलाकों में ड्यूज बॉल टुर्नामेंट कराया था। जिसमें ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे बढ़ने में मदद मिली थी। वे 2002 में बीसीआई के मेंबर भी बने थे। वहां पर वे उपाध्यक्ष और सचिव भी रह चुके थे। 2005 में आजसू सुप्रिमो सुदेश महतो को हराकर झारखंड स्टेट किक्रेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने थे।
राजनीति में रहने नाकाम
अमिताभ चौधरी राजनीति में सफल नहीं हो सके थे। वर्ष 2014 में उन्होंने रांची से लोकसभा चुनाव लड़ा था। झारखंड विकास मोर्चा पार्टी के वे प्रत्याशी थे। लेकिन वे चुनाव हार गए थे। भाजपा प्रत्याशी रामटलह चौधरी ने उन्हें हराया था। 2019 लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा से टिकट लेने का प्रयास किया था। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली थी।
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