
रांची (झारखंड). आजादी के अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा कार्यक्रम की राज्य सहित पूरे देशभर में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है। राजनीतिक पार्टियों से लेकर आमजन तक सभी अपने-अपने स्तर पर हर घर तिरंगा कार्यक्रम को यादगार बनाने में लगे हैं। इसका जुनून लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। तिरंगा बनाने को लेकर देश भर से तैयारी की अलग-अलग तस्वीर सामने आ रही है। इसी क्रम में रांची के अब्दुल चाचा की भी इन दिनों राज्य सहित देशभर में खूब चर्चा हो रही है। 83 वर्षीय अब्दुल सत्तार चौधरी 42 वर्ष से तिरंगा बनाने का काम कर रहे हैं। अब हर कोई इनके इस कार्य के उनका मुरीद हो रहा है। उम्र के इस पड़ाव में भी देश के प्रति उनका ये जुनून कम नहीं हुआ है।
पीएम मोदी के इस अभियान में, तिरंगे की शान में लगाए चार चांद
अबदुल चाचा कहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी के इस अभियान ने तिरंगा की शान में चार-चांद लगा दिया। इस अभियान के कारण उनके पास तिरंगा बनाने के ऑर्डर की कमी नहीं है। राज्यभर से उन्हें तिरंगा बनाने का काम मिल रहा है, लेकिन उनके पास समय और संसाधन का अभाव है। उनके जीवन में अब तक का सबसे अधिक झंडा तैयार करने के लिए फोन आ रहे हैं। रांची, खूंटी, रामगढ़, हजारीबाग, लोहरदगा, सिमडेगा, गुमला जिला तक उन्हें तिरंगा पहुंचाना है।
पूरा परिवार तिरंगा बनाने के काम में जुटा
तिरंगा तैयार करने के लिये अब्दुल सत्तार का पूरा परिवार लगा है। हर दिन सुबह नमाज पढ़ने के बाद अब्दुल अपनी बेगम फात्मा खातून के साथ तिरंगा को तैयार करने में जुट जाते है। परिवार के सभी सदस्यों को अलग-अलग काम दिया गया है। यहां तक की उनका पोता भी अपने दादा-दादी के साथ ही तिरंगा को सहेज कर रखने में हाथ बंटाता है। तिरंगा तैयार करते वक्त इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि उसके शान में कोई गुस्ताखी ना हो।
तिरंगा बनाना व्यापार नहीं, अबदुल चाचा का जुनून
83 साल के अब्दुल चाचा कहते हैं कि तिरंगा बनाना उनका काम नहीं है। ये उनका व्यापार नहीं बल्कि देश के प्रति उनका जुनून है। अब्दुल चाचा अब तक 25 से 30 लाख झंडा बना चुके हैं। अब्दुल चाचा की बढ़ती उम्र को देख कर या जान कर भले ही आप ये सोचने पर मजबूर हो जाये कि आखिर ये कैसे संभव हो पाता है। लेकिन तिरंगा बनाने का ये जज्बा ही है जो इन्हें शारीरिक रूप से स्वास्थ्य रखता है।
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