
रांची: कॉमनवेल्थ गेम्स के 92 साल के इतिहास में भारत ने पहली बार गोल्ड मेडेल जीता। इसमें झारखंड की दो बेटियों का अहम योगदान रहा। रांची में रहनेवाले लवली चौबे और रुपा तिर्की ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए भारत को गोल्ड मेडेल दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके साथ पिंकी और नयनमोनी सैकिया ने भी बेहतर प्रदर्शन किया। भारत में लॉन बॉल्स की शुरुआत करने का श्रेय रांची को जाता है। 2 अगस्त को खेले गए लॉन बॉल्स के फाइनल मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रिका को 17-0 से हराकर गोल्ड मेडेल अपने नाम किया। फाइनल में भारत एक समय 8-2 से आगे था। बाद में दक्षिण अफ्रिका ने 8-8 से बराबरी कर ली। आखिरी तीन राउंड में भारतीय टीम ने बेहतर प्रदर्शन कर 17-0 से फाइनल मुकाबला जीत लिया। जानकारी हो कि 1930 में कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत हुई। भारत में 2010 में कॉमनवेल्थ गेम में हिस्सा लिया था लेकिन कोई मेडेल नहीं जीत पाया था। इधर, कॉमनवेल्थ गेम्स में बेहतर प्रदर्शन करने वाली रांची की दोनों खिलाड़ियों की खूब प्रशंसा की जा रही है। पूरा राज्य उनकी स्वागत की तैयारियां कर रहा है।
15 साल की कड़ी मेहनत का शानदार परिणाम मिला: रुपा तिर्की
गोल्ड मेडेल जीतने वाली रुपा तिर्की ने बताया कि 15 साल की कड़ी मेहनत का शानदार परिणाम मिला है। उन्हें इसी पल का इंतेजार था। ऐसा लग रहा है कि उन्होंने पुरी दुनिया जीत ली। उन्होंने अपने कोच मधुकांत पाठक का शुक्रिया अदा किया। कहा कि पोडियम में खड़े होकर राष्ट्रगान गाने की अनुभूति को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उन्हें इसी पल का इंतेजार था। गोल्ड जीतने के घरवालों का भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
झारखंड पुलिस ने कांस्टेबल है, लवली चौबे
भारत को गोल्ड दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली लवली चौबे झारखंड पुलिस ने कांस्टेबल है। गोल्ड जीतने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी मां से बात की। उन्होंने बताया कि दिन में वे ड्यूटी करती थी और शाम में प्रैक्टिस। कमर दर्द इतना होता था कि वे झुक नहीं पाती थी। लेकिन हिम्मन नहीं हारी। भारत के लिए गोल्ड मेडेल जीतना किसी सपने से कम नहीं है। खिलाड़ियों के घर में बधाई देने वालों का तांता लगा है।
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