Akshaya Tritiya 2022: इस बार शोभन योग में मनेगा अक्षय तृतीया पर्व, 50 साल बाद बनेगा ग्रहों का अद्भुत संयोग

Published : Apr 21, 2022, 03:21 PM ISTUpdated : Apr 27, 2022, 10:19 AM IST
Akshaya Tritiya 2022: इस बार शोभन योग में मनेगा अक्षय तृतीया पर्व, 50 साल बाद बनेगा ग्रहों का अद्भुत संयोग

सार

धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 3 मई, मंगलवार को है। ये तिथि साल के 4 अबूझ मुहूर्तों में से एक है। यानी इस दिन बिना मुहूर्त के भी कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है। इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है।  

उज्जैन. अक्षय तृतीया पर ही यमुनौत्री (Yamunautri) और गंगौत्री (Gangotri) के पट भी आम दर्शनार्थियों के लिए खोले जाते हैं। इस बार अक्षय तृतीया पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस तिथि को और भी खास बना रहे हैं। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से धन की देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती है। और भी कई परंपराएं और मान्यताएं इस पर्व से साथ जुड़ी हैं। आगे जानिए इस बार अक्षय तृतीया पर कौन- से शुभ योग बन रहे हैं…

50 साल बाद बन रहा है ये शुभ योग
- श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, इस बार अक्षय तृतीया पर करीब 50 साल बाद दो ग्रह उच्च राशि में रहेंगे, जबकि दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में। 
- गुरु के स्वराशि मीन में होने से हंस राजयोग बनेगा। अपनी उच्च राशि में शुक्र के रहने से मालव्य राजयोग बनेगा। शनि के स्वराशि में होने से शश नामक राजयोग का निर्माण होगा और सूर्य-चंद्र भी इस दिन अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेंगे। 
- इतने सारे शुभ योगों के चलते अक्षय तृतीया पर दान करने से सर्वाधिक पुण्य की प्राप्ति होगी। चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अपने आप में बहुत ही विशेष है। अक्षय तृतीया पर बन रहे इस शुभ संयोग में मंगल कार्य करना बहुत ही शुभ और फलदायी होगा।
- इस बार अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में मनाई जाएगी। साथ ही इस दिन तैतिल करण और स्थिर राशि अर्थात् वृषभ राशि का चंद्रमा भी रहेगा। इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण होगा। शोभन योग में अक्षय तृतीया मनाने का ये संयोग 30 साल बाद बना है ।
- इस दिन जल से पूर्ण कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है । इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं, जिसके लिए मुहुर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। 

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