
उज्जैन. हिंदू धर्म में तो इस तरह की मान्यता बहुत अधिक मानी जाती हैं क्योंकि हमारे धर्म ग्रंथों में इस बारे में बताया गया है कि मृत्यु के बाद यदि किसी आत्मा को मोक्ष न मिले तो वह धरती पर ही प्रेत रूप में भटकती रहती है। लेकिन सिर्फ कुछ ही लोगों को उनकी उपस्थिति का अहसास हो पाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा अक्सर उन लोगों के साथ होता है, जिनका जन्म राक्षण गण में होता है। आगे जानिए क्या होता है राक्षण गण, ये कितने प्रकार के होते हैं आदि खास बातें…
तीन प्रकार को होते हैं गण?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गण तीन प्रकार के होते हैं मनुष्य, देव और राक्षस। इनमें से मनुष्य गण वाले लोग सामान्य होते हैं इनके पास कोई खास शक्ति नहीं होती। ये सामान्य रूप से जीवन व्यतीत करते हैं जबकि देव गण वाले लोग दयालु और जिंदादिल होते हैं। इनका झुकाव धर्म-कर्म की ओर भी अधिक रहता है। अब बात करते हैं राक्षस गण की। जिन लोगों का राक्षस गण होता है, उनके पास पास ऐसी सुपर पॉवर होती है कि ये तुंरत अपने आस-पास होने वाली पेरानार्मल एक्टिविटी को भांप लेते हैं और इन्हें समझ में आ जाता है कि इनके आस-पास कोई आत्मा या अदृश्य शक्ति है।
ऐसे पहचान सकते हैं अपने गण को?
ज्योतिषियों के अनुसार, कौन व्यक्ति किस गुण का है इसका पता जन्म कुंडली देखकर किया जा सकता है। इसका मुख्य आधार नक्षत्र होते हैं। देवता, मनुष्य और राक्षस इन तीनों गणों के अपने-अपने नक्षत्र बताए गए हैं। किस व्यक्ति के जन्म के समय कौन-सा नक्षत्र था, उसी के आधार पर तय होता है कि उसका गण कौन-सा है। ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। इन सभी को देवता, मनुष्य और राक्षस में बांटा गया है। आगे जानिए वो कौन-से 9 नक्षत्र हैं, जिनमें जन्में व्यक्ति का राक्षस गण होत है…
1. कृत्तिका
2. अश्लेषा
3. मघा
4. चित्रा
5. विशाखा
6. ज्येष्ठा
7. मूल
8. धनिष्ठा
9. शतभिषा
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