ज्योतिष में बताए गए 9 ग्रहों की स्थिति पर ही हमारा जीवन निर्भर करता है। जन्म समय और स्थिति के अनुसार बनाई जाने वाली कुंडली 12 भागों (भावों) में विभाजित रहती है। इन 12 भावों में नौ ग्रहों की अलग-अलग स्थितियां रहती हैं।
उज्जैन. ज्योतिष में बताए गए 9 ग्रहों की स्थिति पर ही हमारा जीवन निर्भर करता है। जन्म समय और स्थिति के अनुसार बनाई जाने वाली कुंडली 12 भागों (भावों) में विभाजित रहती है। इन 12 भावों में नौ ग्रहों की अलग-अलग स्थितियां रहती हैं। सभी ग्रहों के शुभ-अशुभ फल होते हैं।
हमारी कुंडली में जो ग्रह अच्छी स्थिति में होता है, वह हमें अच्छा फल देता है। जबकि, जो ग्रह कुंडली में अशुभ स्थिति में होता है, वह बुरा फल देता है। सभी 9 ग्रहों का फल अलग-अलग क्षेत्रों में प्राप्त होता है। यहां जानिए कौन सा ग्रह किस बात का कारक होता है।
सूर्य
सूर्य हमें यश, मान-सम्मान और प्रदान करता है। सूर्य शुभ होने पर हमें समाज में प्रसिद्धि मिलती है। सूर्य के अशुभ होने पर अपमान जैसे विपरीत फल प्राप्त होते हैं।
चंद्र
चंद्र का संबंध हमारे मन से बताया गया है। चंद्र अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति शांत होता है, लेकिन अशुभ चंद्र मानसिक तनाव बढ़ाता है।
मंगल
मंगल हमारे धैर्य और पराक्रम को नियंत्रित करता है। शुभ मंगल हो तो व्यक्ति कुशल प्रबंधक होता है व भूमि संबंधित काम में लाभ पाता है।
बुध
बुध ग्रह हमारी बुद्धि और वाणी को प्रभावित करता है। शुभ बुध होने पर हमारी बुद्धि शुद्ध और पवित्र होती है।
गुरु
ये ग्रह हमारी धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करता है। ये भाग्य और विवाह का कारक भी। शुभ गुरु होने पर वैवाहिक जीवन श्रेष्ठ रहता है।
शुक्र
शुभ शुक्र से प्रभावित व्यक्ति कलाप्रेमी, सुंदर और ऐश्वर्य प्राप्त करने वाला होता है। धन संबंधी मामलों में भी ये लोग भाग्यवान होते हैं।
शनि
जिसकी कुंडली में शनि शुभ हो, वह सभी सुखों को प्राप्त करने वाला और शक्तिशाली होता है। शनि अशुभ होने पर कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
राहु
जिसकी कुंडली में राहु बलशाली होता है, वह कठोर स्वभाव वाला, प्रखर बुद्धि वाला होता है। राहु अशुभ होने पर कई प्रकार की परेशानी होती है।
केतु
केतु शुभ हो तो व्यक्ति कठोर स्वभाव वाला, गरीबों का हित करने वाला होता है। केतु अशुभ हो तो व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार हो सकता है।