Indira Ekadashi 2022: 21 सितंबर को इस विधि से करें इंदिरा एकादशी व्रत, जानें मुहूर्त, कथा व आरती

Indira Ekadashi 2022: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 21 सितंबर, बुधवार को है। श्राद्ध पक्ष में होने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। 
 

Manish Meharele | Published : Sep 20, 2022 8:53 AM IST

उज्जैन. पंचांग के अनुसार, हर हिंदू महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। इस तरह एक साल में 24 एकादशी होती है। इन सभी का अलग-अलग नाम और महत्व है। इसी क्रम में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 21 सितंबर, बुधवार को है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे संबंधित कथा भी ग्रंथों में मिलती है। आगे जानिए इंदिरा एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व कथा के बारे में…

बुध पुष्य का शुभ योग रहेगा इस दिन (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)
आश्विन कृष्ण एकादशी तिथि 20 सितंबर, मंगलवार की रात 09:26 से 21 सितंबर, बुधवार की रात 11:34 तक रहेगी। इस दिन पुष्य नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग पूरे दिन रहेगा। इसके अलावा परिघ और शिव नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन बन रहे हैं। इतने सारे शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। व्रत का पारण 22 सितंबर, गुरुवार को सुबह 06.09 से 08.35 के बीच होगा।

इंदिरा एकादशी व्रत-पूजा विधि (Indira Ekadashi Puja Vidhi)
- एकादशी तिथि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद एक साफ स्थान पर आसन लगाकर भगवान शालिग्राम की प्रतिमा स्थापित करें। चंदन का तिलक लगाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- पूजन सामग्री जिसमें अबीर, गुलाल, चंदन, मौली, जनेऊ आदि शामिल हो, चढ़ाएं। इसके बाद भोग लगाएं, इसमें तुलसी अवश्य हो, इस बात का विशेष ध्यान रखें। अंत में भगवान की आरती करें और प्रसाद सभी भक्तों में बांट दें।
- रात को सोएं नहीं, भजन-कीर्तन करते रहें और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें। इस तरह व्रत करने से आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है और इच्छाएं भी जल्दी पूरी हो सकती हैं।

इंदिरा एकादशी की कथा (Indira Ekadashi Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी समय महिष्मति राज्य में राजा इंद्रसेन का शासन था। एक दिन जब राजा इंद्रसेन अपनी सभा में बैठे थे तो वहां देव मुनि नारद आए। उन्होंने राजा से कहा कि तुम्हारे पिता पूर्व जन्म में किसी भूल के कारण यमलोक में ही हैं। उन्होंने कहा है कि तुम उनकी मुक्ति के लिए इंदिरा एकादशी का व्रत करो। इसके बाद नारद मुनि ने राजा को इंदिरा एकादशा का महत्व भी बताया। समय आने पर राजा इंद्रसेन ने परिवार सहित इंदिरा एकादशी का व्रत किया, जिसके प्रभाव से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। 

भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥


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