खर मास 14 मार्च से, इस महीने की जाती है भगवान विष्णु की पूजा, जानिए धार्मिक महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब मीन राशि में होता है तो उस समय को खर मास कहते हैं। इस बार 14 मार्च, शनिवार को सूर्य के मीन राशि में जाते ही खर मास शुरू हो जाएगा, जो 13 अप्रैल, सोमवार तक रहेगा।

Asianet News Hindi | Published : Mar 10, 2020 2:51 AM IST

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब मीन राशि में होता है तो उस समय को खर मास कहते हैं। इस बार 14 मार्च, शनिवार को सूर्य के मीन राशि में जाते ही खर मास शुरू हो जाएगा, जो 13 अप्रैल, सोमवार तक रहेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, खर (मल) मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है। इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।
इस मास में भगवान की आराधना करने का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस मास में सुबह सूर्योदय से पहले उठकर शौच, स्नान, संध्या आदि करके भगवान का स्मरण करना चाहिए और पुरुषोत्तम मास के नियम पूरे करने चाहिए। इससे भगवान की कृपा बनी रहती है।
इस महीने में तीर्थों, घरों व मंदिरों में जगह-जगह भगवान की कथा होनी चाहिए। भगवान की विशेष पूजा होनी चाहिए और भगवान की कृपा से देश तथा विश्व का मंगल हो एवं गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो, इसके लिए व्रत-नियम आदि का आचरण करते हुए दान, पुण्य और भगवान की पूजा करना चाहिए। पुरुषोत्तम मास के संबंध में धर्म ग्रंथों में लिखा है-

येनाहमर्चितो भक्त्या मासेस्मिन् पुरुषोत्तमे।
धनपुत्रसुखं भुकत्वा पश्चाद् गोलोकवासभाक्।।

Latest Videos

अर्थात- पुरुषोत्तम मास में नियम से रहकर भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तिपूर्वक उन भगवान की पूजा करने वाला यहां सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है।

खर मास में करें इस मंत्र का जाप
धर्म ग्रंथों में ऐसे कई श्लोक भी वर्णित है जिनका जाप यदि खर मास में किया जाए तो पुण्य की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल में श्रीकौण्डिन्य ऋषि ने यह मंत्र बताया था। मंत्र जाप किस प्रकार करें इसका वर्णन इस प्रकार है-

कौण्डिन्येन पुरा प्रोक्तमिमं मंत्र पुन: पुन:।
जपन्मासं नयेद् भक्त्या पुरुषोत्तममाप्नुयात्।।
ध्यायेन्नवघनश्यामं द्विभुजं मुरलीधरम्।
लसत्पीतपटं रम्यं सराधं पुरुषोत्तम्।।

अर्थात- मंत्र जपते समय नवीन मेघश्याम दोभुजधारी बांसुरी बजाते हुए पीले वस्त्र पहने हुए श्रीराधिकाजी के सहित श्रीपुरुषोत्तम भगवान का ध्यान करना चाहिए।

मंत्र
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।

इस मंत्र का एक महीने तक भक्तिपूर्वक बार-बार जाप करने से पुरुषोत्तम भगवान की प्राप्ति होती है, ऐसा धर्मग्रंथों में लिखा है।

Share this article
click me!

Latest Videos

माता-पिता के होते हुए भी क्यों अनाथालय भेजे गए थे Ratan Tata, बड़ा अजीब है यह किस्सा
Ratan Tata की तिरंगे में लिपटी सबसे पहली तस्वीर, अंतिम दर्शन करने उमड़ी भीड़
LIVE: राष्ट्रपति की अल्जीरिया, मॉरिटानिया और मलावी की राजकीय यात्रा पर विशेष ब्रीफिंग
रतन टाटा ने क्यों नहीं की शादी? चीन से जुड़ा है एक अनसुना किस्सा। Ratan Tata Passes Away
हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस का बोलना भी 'गुनाह'! अब चुनाव आयोग ने...