मौनी अमावस्या पर ध्वज और गजकेसरी का शुभ योग, 11 फरवरी को पूरे दिन कर सकेंगे स्नान-दान

Published : Feb 10, 2021, 11:00 AM IST
मौनी अमावस्या पर ध्वज और गजकेसरी का शुभ योग, 11 फरवरी को पूरे दिन कर सकेंगे स्नान-दान

सार

माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये तिथि 11 फरवरी, गुरुवार को है। अमावस्या 10 फरवरी की रात लगभग 12.39 से शुरू होगी जो 11 फरवरी को पूरे दिन रहेगी और रात 11.47 पर खत्म होगी।

उज्जैन. 11 फरवरी को सूर्योदय से सूर्यास्त तक अमावस्या का पुण्यकाल रहेगा। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इसलिए पितरों की शांति के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। इस बार ये पर्व ध्वज और गजकेसरी योग में मनाया जाएगा।

बृहस्पति अमावस्या का संयोग

- ज्योतिष के संहिता स्कंध के अनुसार, शुभ दिनों में पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देने वाली होती है। 11 फरवरी, गुरुवार को माघ महीने की अमावस्या का संयोग 7 साल बाद बन रहा है।
- इससे पहले 30 जनवरी 2014 को गुरुवार को मौनी अमावस्या का योग बन रहा था। अब ऐसा शुभ संयोग अगले 10 साल बाद यानी 23 जनवरी 2031 को बनेगा। जब गुरुवार को मौनी अमावस्या पर्व रहेगा।

माघ अमावस्या पर स्नान, दान और व्रत

- इस दिन सुबह जल्दी उठकर तीर्थ या पवित्र नदी में नहाने की परंपरा है। ऐसा न हो सके तो पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए।
- माघ महीने की अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण करने का खास महत्व है। इसलिए पवित्र नदी या कुंड में स्नान कर के सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद पितरों का तर्पण होता है।
- धर्म ग्रन्थों में माघ को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। इसलिए मौनी अमावस्या पर किए गए व्रत और दान से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
- मौनी अमावस्या पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
- इस अमावस्या पर्व पर पितरों की शांति के लिए स्नान-दान और पूजा-पाठ के साथ ही उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु और ऋषि समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।


 

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Rashifal 6 December 2025: बुध का वृश्चिक राशि में प्रवेश, किसके लिए शुभ-किसके लिए अशुभ?
Mangal Gochar 2025: मंगल बदलेगा राशि, 5 राशि वालों पर टूटेगी मुसीबत-हर काम में मिलेगी असफलता