हिंदू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख है। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। ये महीना 16 मई तक रहेगा। भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इसे माधव मास भी कहते हैं।
उज्जैन. वैशाख मास भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इस महीने में आने वाली दोनों एकादशी बहुत विशेष होती हैं। पुराणों के अनुसार वैशाख मास (Mohini Ekadashi 2022) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के बारे में कहा जाता है कि ये तिथि सभी पापों का नाश करने वाली है। इस बार मोहिनी एकादशी 12 मई, गुरुवार को है। भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी अवतार लिया था, इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आगे जानिए मोहिनी एकादशी का समय और कथा…
कब से कब तक रहेगी एकादशी तिथि? (Mohini Ekadashi 2022 Tithi)
पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 मई, बुधवार को शाम 07:31 से शुरू होगी, जो 12 मई, गुरुवार की शाम 06:51 तक रहेगी। एकादशी की सूर्योदयव्यापिनी तिथि 12 मई को रहेगी, इसलिए इसी दिन मोहिनी एकादशी का व्रत करना श्रेष्ठ रहेगा।
ये है मोहिनी एकादशी व्रत की कथा (Mohini Ekadashi 2022 Katha)
- पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से वैशाख माह में आने वाली मोहिनी एकदाशी के महत्व के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि “बहुत साल पहले इस एकादशी के विषय में जो कथा वशिष्ठ मुनि ने अयोध्या के राजा रामचंद्रजी को सुनाई थी, वहीं मैं तो तुम्हें सुनाता हूं।” ये कहकर भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी एकादशी व्रत की कथा सुनाना शुरू की।
- किसी समय में सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नगर में धृतिमान नाम के राजा राज्य करते थे। उसी नगर में धनपाल नाम का एक बनिक यानी बनिया रहता था। धनपाल भगवान विष्णु का भक्त था और हमेशा अच्छे कामों में ही लगा रहता था।
- धनपाल के पाँच बेटे थे- सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत और धृष्टबुद्धि। सबसे छोटा बेटा धृष्टबुद्धि हमेशा बुरे कामों में भी लगा रहता था, जिसके चलते उसने अपने पिता का काफी धन बरबाद कर दिया। तंग आकर धनपाल ने उसे घर से निकाल दिया।
- एक दिन धृष्टबुद्धि भटकते हुए भूख-प्यास से तपड़ता हुआ महर्षि कौंडिन्य के आश्रम जा पहुंचा और बोला कि “दया करके मुझे कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके प्रभाव से मेरे पाप कर्म नष्ट हो जाएं और मुझे मुक्ति प्राप्त हो।” उसे देखकर महर्षि कौंडिन्य को उस पर दया आ गई।
- तब महर्षि कौंडिन्य ने उसे बताया कि “ तुम वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का व्रत करो। इस व्रत से तुम्हारी बुद्धि शुद्ध हो जाएगी और पाप कर्म नष्ट हो जाएंगे।” धृष्टबुद्धि ने पूरी श्रृद्धा और विधि-विधान से मोहिनी एकादशी का व्रत किया।
- इस व्रत को करने से उसकी बुद्धि निर्मल हो गई और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर बैठकर वह विष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत उत्तम है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस व्रत की कथा पढ़ने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।
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