समुद्र शास्त्र: शरीर का रंग भी बताता है आपके नेचर से जुड़ी बहुत-सी खास बातें

भगवान ने प्रत्येक मनुष्य का शरीर अलग बनाया है। प्रत्येक इंसान के चेहरा अलग होता है। उसकी कद-काठी भिन्न होती है। यहां तक की उनकी त्वचा का रंग भी अलग होता है। किसी की त्वचा का रंग काला होता है तो किसी का गोरा।

Asianet News Hindi | Published : Jan 15, 2020 3:36 AM IST

उज्जैन. सामुद्रिक शास्त्र के विद्वानों के अनुसार शरीर के रंग के आधार पर भी मनुष्य के स्वभाव के बारे में जाना जा सकता है। जानिए किस रंग के लोग कैसे स्वभाव वाले होते हैं-

1. समुद्र शास्त्र के अनुसार, काले रंग के लोग हेल्दी, मेहनत करने वाले व गुस्से वाले होते हैं। इनका बौद्धिक विकास कम होता है, जिसके परिणामस्वरूप वे सभी सामाजिक परंपराओं, संस्कारों एवं मर्यादाओं से दूर, उत्तेजित, हिंसक, कामी, हठी एवं आक्रामक तथा अपराधी प्रवृत्ति के बन जाते हैं।
2. एकदम काले रंग से प्रभावित स्त्रियों के संबंध में समुद्र शास्त्र में वर्णन है कि अत्यधिक काले रंग के नेत्र, त्वचा, रोम, बाल, होंठ, तालु एवं जीभ आदि जिन स्त्रियों के हों, वे निम्न वर्ग में आती है। इस वर्ण की स्त्रियां स्वामीभक्त और बात को अंत तक निभाने वाली व साहसी होती हैं।
3. समुद्र शास्त्र के अनुसार, गोरे रंग के लोगो में मुख्य रूप से दो भेद होते हैं हैं। प्रथम में लाल एवं सफेद रंग का मिश्रण होता है जिसे हम गुलाबी कहते हैं। ऐसे लोग अच्छे स्वभाव वाले, बुद्धिमान, साधारण परिश्रमी, रजोगुणी एवं अध्ययन तथा विचरण प्रेमी होते हैं। ऐसे लोग दिखने में सुंदर तथा आकर्षक होते हैं तथा सभी को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होते हैं।
4. गोरे रंग के दूसरे भेद में लाल व पीले रंग का मिश्रण होता है, जिसे पिंगल कहा जाता है। ऐसे लोग मेहनत करने वाले, धैर्यवान, सौम्य, गंभीर, रजोगुणी, भोगी, समृद्ध एवं व्यवहार कुशल होते हैं। देखने में आता है कि ऐसे लोग बीमार रहते हैं तथा इन्हें रक्त संबंधी बीमारी अधिक होती है।
5. विद्वानों की मान्यता है कि सफेद या पीले रंग से संयुक्त लाल रंग के नाखून, तालू, जीभ, होंठ, करतल तथा पदतल वाली स्त्री धन-धान्य से युक्त, उदार एवं सौभाग्यवती होती है।
6. समुद्र शास्त्र के अनुसार, विश्व में सबसे ज्यादा सांवले रंग के लोग होते हैं। इसे काले रंग से युक्त कहा जाता है क्योंकि यह एकदम गहरा काला रंग न होकर सफेद एवं लाल रंग से मिश्रित काला होता है। इसके दो भेद होते हैं। प्रथम के अंतर्गत रजोगुण प्रधानता के साथ तमोगुण की हल्की सी प्रवृत्ति होती है। ऐसे लोग अस्थिर, परिश्रमी और कभी सुस्त, सामान्य बुद्धि वाले, सामान्य समृद्ध तथा सामान्य अध्ययन वाले होते हैं। ये प्राय: उच्च मध्यम वर्ग के होते हैं।
7. सांवले रंग के प्रथम वर्ण के विपरीत द्वितीय वर्ण वालों में उपरोक्त गुणों में कुछ न्यूनता आ जाती है अत: उस वर्ग को निम्न मध्यम वर्ग में रखा जाता है।
इस वर्ण का प्रभाव स्त्रियों पर भी उसी प्रकार का होता है। फिर भी विशेष स्थिति में वे गृहस्थी के उतार-चढ़ाव में निरंतर संघर्षरत, धैर्य सम्पन्न, सहनशील, उदार, चंचल, भोगी एवं विश्वस्त होती हैं।

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