कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली ( इस बार 14 नवंबर, शनिवार) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। अनेक पौराणिक ग्रंथों में देवी लक्ष्मी के संदर्भ में वर्णन किया गया है।
उज्जैन. देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है अर्थात इनकी कृपा से ही मनुष्य को भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। अनेक पौराणिक ग्रंथों में देवी लक्ष्मी के संदर्भ में वर्णन किया गया है। दीपावली के शुभ अवसर पर जानिए किस ग्रंथ में देवी लक्ष्मी के बारे में क्या कहा गया है-
1. महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास लिखते हैं- पुरुषां धनं वध: अर्थात् लक्ष्मी (धन) का अभाव तो मनुष्य के लिए मृत्यु का चिह्न है। यदि मनुष्य पर लक्ष्मी की कृपा न हो तो इच्छाएं अधूरी रह जाने पर उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती।
2. ऋग्वेद के श्रीसूक्त में भी भगवती लक्ष्मी से प्रार्थना की गई है- 'हे देवी, मैं आपका वरण करता हूं। आप दरिद्रा, अलक्ष्मी का नाश कर मेरे घर से असमृद्धि को दूर करें।'
3. भर्तृहरि संहिता में कहा गया है कि जिसके पास लक्ष्मी (धन) है, वही कुलीन है, वही पंडित है, वही गुणी है, वही श्रेष्ठ है, वही दर्शनीय है। मतलब यह है कि ये सभी गुण लक्ष्मी के आश्रित हैं। लक्ष्मी कृपा से ही इन सुखों की पूर्ण प्राप्ति संभव है। मनुष्य तो क्या देवताओं को भी अपने देवत्व कार्य पूर्ण करने के लिए लक्ष्मी की आराधना करनी पड़ती है।
4. श्रीब्रह्मपुराण में लिखा है कि दीपावली की रात में लक्ष्मीजी सद्गृहस्थों के घरों में जहां-तहां विचरण करती रहती हैं। इसलिए लक्ष्मी के स्वागत के लिए सभी श्रद्धायुक्त जन अपने-अपने घरों को सभी प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर रीति से सजाकर रखते हैं, ताकि लक्ष्मी प्रसन्न होकर उनके घर में प्रवेश करें व अपनी कृपा दिखाएं।
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