नवरात्रि में 58 साल बाद बनेगा शनि और गुरु का दुर्लभ योग, घोड़े पर सवार होकर आएंगे देवी

Published : Oct 06, 2020, 11:43 AM ISTUpdated : Oct 06, 2020, 11:44 AM IST
नवरात्रि में 58 साल बाद बनेगा शनि और गुरु का दुर्लभ योग, घोड़े पर सवार होकर आएंगे देवी

सार

इस बार 17 अक्टूबर, शनिवार से देवी पूजा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है जो 25 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार नवरात्रि के पहले ही दिन सूर्य राशि बदलकर सुर्य से तुला में प्रवेश करेगा।

उज्जैन. इस बार नवरात्रि के पहले ही दिन सूर्य राशि बदलकर सुर्य से तुला में प्रवेश करेगा। इस राशि में बुध ग्रह पहले से वक्री स्थिति में है। बुध और सूर्य के एक ही राशि में होने से बुधादित्य योग बनेगा। इसके साथ ही 58 साल बाद शनि-गुरु का दुर्लभ योग भी नवरात्रि में इस बार बन रहा है।

स्वराशि में रहेंगे शनि और गुरु
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस नवरात्रि में शनि मकर राशि में और गुरु धनु राशि में रहेगा। ये दोनों ग्रह 58 साल बाद नवरात्रि में एक साथ अपनी-अपनी राशि में स्थित रहेंगे। 2020 से पहले 1962 में ये योग बना था। उस समय 29 सितंबर से नवरात्रि शुरू हुई थी।

पूरे नौ दिनों की रहेगी नवरात्रि
इस साल नवरात्रि पूरे नौ दिनों की रहेगी। इसी दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करके नीच का हो जाएगा। 17 तारीख को बुध और चंद्र भी तुला राशि में रहेंगे। चंद्र 18 तारीख को वृश्चिक में प्रवेश करेगा। लेकिन सूर्य-बुध का बुधादित्य योग पूरी नवरात्रि में रहेगा।

नवरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आएंगी देवी
शनिवार से नवरात्रि शुरू होने से इस बार देवी का वाहन घोड़ा रहेगा। नवरात्रि जिस वार से शुरू होती है, उसके अनुसार देवी का वाहन बताया गया है। अगर नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू होती है तो देवी का वाहन हाथी रहता है। शनिवार और मंगलवार से नवरात्रि शुरू होती है तो वाहन घोड़ा रहता है। गुरुवार और शुक्रवार से नवरात्रि शुरू होने पर देवी डोली में सवार होकर आती हैं। बुधवार से नवरात्रि शुरू होती है तो देवी का वाहन नाव रहता है।

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